Maharashtra Toll Tax News: यह नियम एक अप्रैल से लागू होंगे. सीएम देवेन्द्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई.
Maharashtra Toll Tax News: अगर आप महाराष्ट्र में वाहन चलाते हैं, तो आपके लिए यह बहुत बड़ी खबर है. दरअसल, महाराष्ट्र कैबिनेट ने मंगलवार को बहुत बड़ा फैसला लिया है. महाराष्ट्र कैबिनेट की ओर से निर्णय लिया गया है कि महाराष्ट्र के सभी टोल पर फास्टैग अनिवार्य कर दिया है. इसके अलावा फास्टैग वाले वाहनों या बिना सही लेन में गाड़ी न ले जाने वाले पर वाहनों को दोगुना टोल शुल्क देना होगा.
PWD ने की थी सरकार से सिफारिश
यह नियम एक अप्रैल से लागू होंगे. मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में PWD यानी लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. दरअसल, PWD ने अपने प्रस्ताव में सरकार से सिफारिश की थी कि राज्य भर के सभी टोल पर टोल कलेक्शन फास्टैग के माध्यम से किया जाएगा.
मंत्रिमंडल ने इस प्रक्रिया को सामान्य बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी नीति 2014 में संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है. महाराष्ट्र सरकार ने उम्मीद जताई है कि इस कदम से टोल कलेक्शन में और भी ज्यादा पारदर्शिता आएगी और टोल प्लाजा पर वाहनों की लगने वाली भीड़ में कमी आएगी. साथ ही इससे यात्रियों के समय और गाड़ियों के ईंधन की भी बचत होगी. साथ ही कहा गया है कि बिना फास्टैग वाले वाहन या बिना गलत लेन में प्रवेश करने वाले वाहनों को दोगुना टोल फाइन के रूप में देना पड़ेगा.
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राज्यपाल की मंजूरी के लागू होंगे नियम
फिलहाल में PWD की ओर से 13 सड़कों और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की ओर से नौ सड़कों पर टोल वसूला जा रहा है. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार के बयान में कहा गया है कि यह निर्णय PWD और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की ओर से मैनेज किए जा रहे सड़कों पर लागू होगा और भविष्य में सभी सड़कों के लिए यह अनिवार्य हो जाएगा. इस निर्णय पर जल्द ही मुख्यमंत्री और राज्यपाल की मंजूरी दे दी जाएगी.
राज्यपाल की मंजूरी के बाद संशोधित नियम आधिकारिक राजपत्र के जरिए प्रकाशित कर दिए जाएंगे. इसके बाद यह नियम एक अप्रैल से लागू हो जाएंगे और सभी टोल पर फास्टैग अनिवार्य हो जाएंगे. विभागीय सचिवों के एक कमेटी ने भारत सरकार और अन्य राज्यों के नियमों के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर इन संशोधनों की सिफारिश की थी. गौरतलब है कि साल 1975 में इस तरह संसोधन किए गए थे. ऐसे में यह तीसरा सबसे बड़ा संशोधन है.
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