MahaKumbh Mela 2025: यह बस है स्वामी सच्चिदानंद चैतन्य की. बस का नाम है देवालय और इसमें स्थापित है दुनिया का सबसे भारी स्फटिक (क्रिस्टल) शिवलिंग.
MahaKumbh Mela 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम के किनारे 13 जनवरी से आस्था का महाकुंभ मेला शुरू होने जा रहा है. देश के साथ ही दुनियाभर से साधु-संत के साथ ही श्रद्धालु और पर्यटक संगम के किनारे पहुंचने लगे हैं. एक सप्ताह में शुरू होने जा रहे कुंभ मेले के लिए शिविर भी बन गए हैं. इन शिविरों के बीच एक अनोखी सफेद बस खड़ी है, जो लोगों के आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र बन गई है.
उज्जैन सिंहस्थ कुंभ के लिए बस को किया गया तैयार
दरअसल, यह बस है स्वामी सच्चिदानंद चैतन्य की. बस का नाम है देवालय और इसमें स्थापित है दुनिया का सबसे भारी स्फटिक (क्रिस्टल) शिवलिंग. इसका वजन 65 किलोग्राम है. स्वामी सच्चिदानंद चैतन्य ने बताया कि उनके गुरु श्री लक्ष्मण चैतन्य ब्रह्मचारी ने बस में स्फटिक शिवलिंग को स्थापित किया था.
प्रयागराज का प्राचीन पड़िला महादेव मंदिर वह स्थान है जहां अज्ञातवास के समय पांडवों ने शिवलिंग की स्थापना की थी। यह मंदिर प्रयाग की पंचकोसी परिक्रमा का भाग है।
— Mahakumbh (@MahaKumbh_2025) January 5, 2025
यहाँ भगवान शिव की पूजा उपासना के साथ ही जलाभिषेक किया जाता है। महाकुम्भ में आयें तो इस मंदिर का दर्शनलाभ अवश्य लें।… pic.twitter.com/rzzPM639oA
स्वामी सच्चिदानंद ने बताया कि साल 1992 में लक्ष्मण चैतन्य ब्रह्मचारी जी की ओर से उज्जैन सिंहस्थ कुंभ के लिए इस बस को तैयार कराया गया था. इस बस का नाम उन्होंने श्री श्री हरसिद्धि रखा, जिसका अर्थ है कि बस में स्थापित शिवलिंग सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला है. इसी बस से लक्ष्मण चैतन्य ब्रह्मचारी ने देश के सभी तीर्थ स्थलों के दर्शन किए. गौरतलब है कि डॉक्टर श्री लक्ष्मण चैतन्य ब्रह्मचारी महाराज धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य थे.
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12 ज्योतिर्लिंगों के जल से होता है शिवलिंग का अभिषेक
करपात्री जी महाराज ने काशी में अखिल भारतीय धर्म संघ के लंबे समय तक अध्यक्ष के अपनी सेवा दी थी. स्वामी सच्चिदानंद चैतन्य ने बताया कि गुरु ने बस के ऊपर एक चौकोर आकार का एक टैंक बनवाया और वहीं पर शास्त्रों और पुराणों में वर्णित सभी तीर्थ स्थलों और झीलों से पवित्र जल एकत्र किया. इस टैंक में 12 ज्योतिर्लिंगों का जल इकट्ठा किया गया था, जिससे स्फटिक शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है.
साल 2001 में गुरु जी के काशी में ब्रह्मलीन हो गए थे. स्वामी सच्चिदानंद चैतन्य ने बताया कि बस में में पहले रसोई और शौचालय जैसी सुविधाएं थी. हाल में बस के पीछे का हिस्सा खाली है, जिसे खोलकर मंच बनाया जा सकता है. इसी बस में भोजन तैयार करने के लिए अनाज भंडारण प्रणाली भी की भी सुविधा दी गई है. फिलहाल यह बस महाकुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के साथ-साथ राहगीरों का ध्यान आकर्षित कर रही है और श्रद्धा का भी केंद्र बन गई है.
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