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ISIS Resurgence: कैसे फिर से फन फैला रहा है क्रूर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट?

by Divyansh Sharma
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Introduction Of ISIS Resurgence

ISIS Resurgence: 1 जनवरी 2025 यानी नए साल के पहले दिन ही अमेरिका बेहद बुरी तरह से दहल उठा. अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स की बॉर्बन स्ट्रीट पर मौज-मस्ती कर रहे लोगों को एक पिकअप ट्रक ने कुचल दिया. पहले इसे सामान्य हमला माना जा रहा था. बाद में जब पिकअप ट्रक की तलाशी ली गई, तो पता चला कि यह दुर्घटना सामान्य नहीं थी. यह एक आतंकी हमला था, जिसे ISIS यानी इस्लामिक स्टेट से प्रभावित एक शख्स ने अंजाम दिया था. शख्स की पहचान शम्सुद्दीन जब्बार के रूप में की गई है. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ISIS कुचले जाने के बाद फिर से जिंदा हो रहा है. इस बीच अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप भी सत्ता संभालने वाले हैं. ऐसे में ISIS को पहले कुचलने का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी यह सबसे बड़ी चुनौती है.

Table Of Content

  • अमेरिका में हुआ ताजा हमला
  • ISIS ने सीरिया के गृहयुद्ध का कैसे उठाया फायदा
  • ISIS-खुरासान ने संभाली कमान
  • UN ने ISIS को लेकर क्यों दी चेतावनी
  • दुनिया में ISIS के अब तक के घातक हमले
  • सीरिया और इराक में ISIS के ताजा हालात
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न्यू ऑरलियन्स के हमले में इस्तेमाल पिकअप ट्रक

अमेरिका में हुआ ताजा हमला

न्यू ऑर्लियंस हमले की जांच कर रहे अधिकारियों ने पुष्टि की कि हमले में इस्तेमाल पिकअप ट्रक पर इस्लामिक स्टेट का झंडा लगा था. अधिकारियों ने शम्सुद्दीन जब्बार नाम को ISIS का समर्थक बताया है, जो मौके पर पुलिस की गोलीबारी में मारा गया था. शम्सुद्दीन जब्बार पहले अमेरिकी सेना में भी काम कर चुका है. FBI के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शम्सुद्दीन जब्बार ने इस हमले को अकेले अंजाम नहीं दिया है. उसके साथ कुछ और लोग मिले हुए थे. ऐसे में एजेंट उसके संभावित सहयोगियों की तलाश की जा रही है.

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न्यू ऑरलियन्स के हमले में इस्तेमाल पिकअप ट्रक

गौरतलब है कि ISIS के नाम से मशहूर इस आतंकी संगठन ने दुनिया भर में मौत और विनाश की क्रूर विरासत छोड़ी है. मीडिल-ईस्ट में ISIS का अब कोई खास प्रभाव वाला इलाका बचा नहीं है, लेकिन इस क्रूर संगठन ने दुनिया भर में आतंकी हमले करना जारी रखा. इसके साथ ही वह चरमपंथी विचारधारा के जरिए युवाओं को भड़काता रहता है. ISIS एक सुन्नी मुस्लिम विद्रोही गुट है, जिसे माना जाता है कि इराक में अलकायदा से जन्म हुआ. इराक में साल 2013 से लेकर 2017 तक चले गृहयुद्ध के लिए भी इस संगठन को ही जिम्मेदार माना जाता है. बाद में स्थानीय मिलिशिया और अमेरिकी सैनिकों ने इन विद्रोहियों को कुचल दिया.

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ISIS ने सीरिया के गृहयुद्ध का कैसे उठाया फायदा

इराक में हारने के बाद इस आतंकी संगठन ने अबू बकर अल-बगदादी के नेतृत्व में सीरिया के गृहयुद्ध की अस्थिरता का फायदा उठाया और वहां अपना ठिकाना बना लिया. बाद में इसने साल 2014 में एक बार फिर से इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल पर भी कब्जा जमा लिया. इस दौरान ISIS ने खुद को खलीफा (इस्लामी सिद्धांतों पर शासित राज्य) घोषित कर लिया. इस दौरान ISIS ने इराक और सीरिया के शहरों में क्रूरता की सारी हदें पार कर दी. अपहरण और यौन उत्पीड़न के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात हो गया.

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अबू बकर अल-बगदादी

इस बीच इस आतंकी संगठन ने यूरोप के कई देशों को भी निशाना बनाया और कई बड़े हमलों को अंजाम दिया. साल 2019 के अक्टूबर के महीने में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि ISIS का संस्थापक अबू बकर अल-बगदादी को अमेरिकी सैनिकों ने ढेर कर दिया है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि ISIS को 100 प्रतिशत खत्म कर दिया गया है. सीरिया और इराक में अमेरिका के सहयोग से कुर्द विद्रोहियों ने इस्लामिक स्टेट के इलाकों पर कब्जा कर लिया. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना था कि ISIS अब कमजोर हो चुका है. हालांकि, अब हाल में एक बार फिर से सीरिया समेत पुरी दुनिया में यह अपने फन फैलाने लगा है.

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डोनाल्ड ट्रंप

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ISIS-खुरासान ने संभाली कमान

ISIS ने अभी तक किसी बड़े हमले को अंजाम नहीं दिया है, लेकिन इस संगठन के अफगानी सहयोगियों (ISIS-खुरासान) ने ईरान में साल 2024 की शुरुआत में बहुत बड़ा हमला किया. ISIS-खुरासान की ओर से ईरान चार साल पहले अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी के स्मारक जुलूस पर 4 जनवरी को किए दोहरे बम धमाके में 80 से ज्यादा लोग मारे गए थे.

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ISIS-खुरासान

कुछ महीनों बाद 22 मार्च रूस की राजधानी मास्को स्थित एक कॉन्सर्ट हॉल में घातक हमला किया था, जिसे अमेरिकी अधिकारियों ISIS-K(खुरासान) को दोषी ठहराया था. इस हमले में कम से कम 137 लोग मारे गए थे . 16 जुलाई को ISIS-K के आतंकियों ने ओमान के मस्जिद में गोलीबारी की, जिसमें 6 लोग मारे गए थे. इसमें ISIS ने शिया मुसलमानों को निशाना बनाया था. इन हमलों के अलावा भी इराक और सीरिया समेत कई देशों में हमले किए गए हैं.

UN ने ISIS को लेकर क्यों दी चेतावनी?

हाल के दिनों में हुए हमलों को देखते हुए पिछले साल अगस्त में UN यानी संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक मामलों के शीर्ष अधिकारी व्लादिमीर वोरोनकोव सुरक्षा परिषद को बताया कि इस्लामिक स्टेट फिर से अपना फन फैला रहा है. UN की ओर से जारी बयान में बताया गया था कि पेरिस में ओलंपिक खेलों के आसपास की हालिया गड़बड़ियों ने याद दिलाया कि ISIS का खतरा अभी टला नहीं है. दरअसल, जानकारी इस बात की भी है कि ISIS विकसित देशों में किशोरों को ऑनलाइन भर्ती कर रहा है. इसका लक्ष्य जिहाद फैलाना है.

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ISIS पश्चिमी अफ्रीका और साहेल में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. पिछले साल अक्टूबर में ही ब्रिटेन की घरेलू जासूसी एजेंसी के प्रमुख केन मैक्कलम ने कहा था कि अल कायदा और खास तौर पर ISIS से आतंक का खतरा बढ़ गया है. हालांकि, इस बीच मीडिल-ईस्ट में तैनात अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने कमांडर जनरल माइकल एरिक कुरिल्ला के हवाले से 16 जुलाई, 2024 को एक बयान में बताया था कि अमेरिका और सहयोगी देशों में बाहरी अभियान चलाने की ISIS की क्षमता और कम हो रही है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल जनवरी से लेकर जून तक ISIS ने इराक और सीरिया में 153 हमलों की जिम्मेदारी ली. ऐसे में यह हमले 2023 में किए गए हमलों की कुल संख्या से दोगुनी हैं. इसके साथ ही ISIS फिर से फिर से संगठित होने का प्रयास कर रहा है.

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अमेरिकी सेंट्रल कमांड

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दुनिया में ISIS के अब तक के घातक हमले

बता दें कि साल 2010 से लेकर 2020 तक ISIS ने कई हमले किए, लेकिन इनमें कुछ सबसे घातक हमले थे. इन हमलों को इराक और सीरिया में ट्रेनिंग पाए आतंकियों ने अंजाम दिया था. इसमें सबसे पहला है साल 2015 में पेरिस अटैक. 13 नवंबर 2015 आत्मघाती जैकेट भारी हथियारों से लैस ISIS के खूंखार आतंकियों ने पेरिस की सड़कों पर कत्लेआम मचा दिया था. इस हमले में 130 से ज्यादा लोग मारे गए.

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पेरिस अटैक

इसके बाद 22 मार्च 2016 को सुबह ब्रुसेल्स में एक एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन को ISIS के आतंकियों ने उड़ा दिया था. इसमें 32 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. साल 2016 में 14 जुलाई को फ्रांस के नीस में बैस्टिल दिवस के दिन एक व्यक्ति ने आतिशबाजी देख रही भीड़ को 19 टन वजनी ट्रक से कुचल दिया. ISIS ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन ड्राइवर के सीधे तौर पर आतंकी समूह से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं मिले. साल 2015 में ISIS के आतंकियों ने इसी तरह जॉर्डन के सैन्य पायलट मोआज अल कसासबेह को जिंदा जलाया और इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया. वहीं, 2015 में 15-16 फरवरी को ISIS से संबंधित लीबियाई आतंकियों ने एक वीडियो जारी कर 21 मिस्र के ईसाइयों का सिर कर दिया.

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ISIS-K का अफगान लीडर सनाउल्लाह गफारी

सीरिया और इराक में ISIS के ताजा हालात

सीरिया में बशर अल असद के सत्ता से बेदखल होने और सेनाओं के पतन के बाद से विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि ISIS इन इलाकों में फिर से अपने पैर जमा सकता है. पिछले साल जुलाई के महीने में अमेरिकी विदेश मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता ने चेतावनी जारी करते हुए बताया था कि इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के हमले पिछले साल की तुलना में दोगुने होने के कगार पर हैं.

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बशर अल असद के हटते ही अमेरिका समर्थित कुर्द बलों और तुर्की समर्थित विद्रोहियों के बीच संघर्ष उग्र रूप लेता जा रहा है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि ISIS फिर से अपने पैर जमा सकता है. इराक में भी उनका प्रभाव बढ़ सकता है. अमेरिकी सेना की मीडिल-ईस्ट में तैनात अमेरिकी सेंट्रल कमांड के मुताबिक सीरिया में ISIS के 20 से अधिक ठिकाने मौजूद हैं. इसमे कुल 9 हजार से अधिक लड़ाके शामिल हैं. वहीं, सीरिया में 2 हजार और इराक में 2.5 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. सीरिया में उथल-पुथल जारी है और अमेरिकी सैनिकों ने हवाई हमले जारी रखे हैं. इससे वह ISIS के लड़ाकों और शिविरों को निशाना बना रहे हैं.

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Conclusion

ISIS फिलहाल सीरिया में है, लेकिन समूह का अफगान सहयोगी ISIS-K ने हाल के हमलों से यह सिद्ध कर चुका है कि वह दुनिया के किसी भी हिस्से में बड़े हमले को अंजाम दे सकता है. ISIS-K दुनिया के अलावा यह संगठन अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से भी लड़ रहा है. अमेरिकी अधिकारी मीडिल-ईस्ट के अलावा अफ्रीकी साहेल इलाके में भी नजर रख रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ISIS (जिसे ISIL या अपमानजनक Daesh भी कहा जाता है) साहेल में तेजी से प्रगति कर रहा है.

बता दें कि ISIS ने ही पिछले साल मार्च में नाइजर की सेना पर हमला कर 30 जवानों को मार दिया था. ऐसे में अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि ISIS को नाइजीरिया, कांगो जैसे अफ्रीकी देशों से 60 फीसदी तक मदद मिल रही है. ISIS के लड़ाके फिलहाल हिट-एंड-रन हमले कर रहे हैं. वहीं, ISIS-K का अफगान लीडर सनाउल्लाह गफारी इसे वैश्विक संगठन बनाने की तैयारी कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र को भी डर है कि ISIS के लड़ाके अफगानिस्तान के साथ ही गृहयुद्ध की चपेट में सूडान में राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठा सकते हैं.

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वहीं, साल 2019 में अबू बकर अल-बगदादी के मारे जाने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ने दुनिया के नंबर एक आतंकी को न्याय के कटघरे में खड़ा किया. अबू बकर अल-बगदादी मर चुका है, जो ISIS का संस्थापक और नेता था. उन्होंने दावा किया था कि अबू बकर अल-बगदादी को पकड़ना या मारना उनके प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि उसने दूसरों को डराने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन अपने अंतिम समय में घबराहट और खौफ में बिताए थे.

उन्होंने दावा किया था कि अमेरिकी सैनिकों की पहुंच बहुत लंबी है, जिन्होंने ओसामा बिन लादेन के बहुत ही हिंसक बेटे हमजा बिन लादेन को मार गिराया था. अबू बकर अल-बगदादी के बाद हमने ISIS की खिलाफत को 100 प्रतिशत खत्म कर दिया है. साथ ही ISIS आतंकियों को उनके क्रूर अंत तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता संभालने के बाद बड़े पैमाने पर ISIS के आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. यह बात अन्य आतंकी संगठनों पर भी लागू होती है.

बता दें कि मीडिल-ईस्ट में तैनात अमेरिकी सेंट्रल कमांड के मुताबिक जनवरी से जून 2024 तक ISIS के खिलाफ 196 मिशन चलाए गए हैं. इसमें इराक में कुल 44 ISIS ऑपरेटिव मारे गए है. वहीं, सीरिया में 59 ऑपरेशनों में 14 ISIS ऑपरेटिव मारे गए. इस दौरान इराक और सीरिया में आठ वरिष्ठ ISIS लीडर मारे गए और 32 पकड़े गए हैं. यह लीडर सीरिया और इराक के बाहर अभियानों की योजना बनाने, भर्ती करने, प्रशिक्षण देने और हथियारों की तस्करी करने के लिए जिम्मेदार थे. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि ISIS का अगला प्लान क्या होगा और डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आने के बाद इससे कैसे निपटे हैं.

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