झारखंड के सुदूरवर्ती इलाकों में अफीम की खेती और युवाओं में नशा काफी समय से एक गंभीर समस्या है. नशे के सौदागर भोले-भाले ग्रामीणों को गुमराह कर इस अवैध धंधे में धकेल देते हैं.नतीजा यह होता है कि नशा करने वाले का पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है.
Jharkhand: झारखंड के सुदूरवर्ती इलाकों में अफीम की खेती और युवाओं में नशा काफी समय से एक गंभीर समस्या बनी है. नशे के सौदागर भोले-भाले ग्रामीणों को गुमराह कर इस अवैध धंधे में धकेल देते हैं.नतीजा यह होता है कि नशा करने वाले का पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है.
ऐसे में झारखंड पुलिस ने अफीम की खेती और लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने के लिए एक अनोखी रणनीति अपनाई है— “ऑपरेशन चॉकलेट”. इस पहल के तहत पुलिस गांवों में चॉकलेट वितरित कर रही है, जिनके रैपर पर अफीम की खेती के दुष्परिणाम और कानूनी सजा के बारे में जानकारी दी गई है.
अफीम की खेती: झारखंड की गंभीर समस्या
भारत में अफीम की खेती कानूनी रूप से केवल सरकार की अनुमति से की जा सकती है. लेकिन झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में अवैध अफीम की खेती होती है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2022 में झारखंड में 1,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर अवैध अफीम की खेती की गई थी, जिसमें से 70% खेती खूंटी, चतरा, पलामू, सिमडेगा और लोहरदगा जिलों में केंद्रित थी. यह अफीम बाद में हेरोइन और ब्राउन शुगर जैसे घातक ड्रग्स में बदल जाती है और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेची जाती है.
चॉकलेट वितरण: अफीम की खेती वाले इलाकों में पुलिस चॉकलेट बांट रही है, जिसके रैपर पर “अफीम की खेती के नुकसान और कानूनी परिणाम” लिखे गए हैं.
ऑडियो संदेश: पुलिस गांवों में लाउडस्पीकर और सोशल मीडिया के जरिए भी संदेश प्रसारित कर रही है.
बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज पर कार्रवाई: केवल खेती नष्ट करने तक सीमित न रहते हुए पुलिस अब सप्लाई चैन को भी तोड़ने में जुटी है.
FIR और गिरफ्तारियां: पिछले तीन महीनों में 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और 800 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में अफीम की खेती नष्ट की गई.
जागरूकता का असरः ग्रामीण नहीं करेंगे अफीम की खेती
खूंटी जिले के मारंगहादा क्षेत्र में हाल ही में पुलिस ने साप्ताहिक बाजार में चॉकलेट का वितरण किया. पुलिसकर्मियों ने बच्चों और युवाओं को चॉकलेट दी और उनके माता-पिता को अवैध खेती से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया. कई ग्रामीणों ने खुद आगे आकर अफीम की खेती बंद करने का संकल्प लिया.
अगले छह महीनों में नशे से मुक्त होगा झारखंड
झारखंड पुलिस का दावा है कि अगले छह महीनों में अवैध खेती 50% तक कम हो जाएगी.ड्रग माफियाओं की गिरफ्तारी होगी. दूसरे राज्यों से आने वाले ब्राउन शुगर और अन्य नशीले पदार्थों की सप्लाई बंद की जाएगी. राज्य के पुलिस महानिदेशक ने स्पष्ट किया है कि “ऑपरेशन चॉकलेट” केवल एक जागरूकता अभियान नहीं है,बल्कि यह अवैध ड्रग्स के नेटवर्क को खत्म करने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है.
झारखंड पुलिस की यह पहल साबित करती है कि सिर्फ लाठी और कानून से ही नहीं,बल्कि रचनात्मकता और संवेदनशीलता से भी अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है. ऑपरेशन चॉकलेट जैसी पहल से उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में झारखंड में अफीम की खेती पूरी तरह खत्म हो जाएगी और राज्य “ड्रग्स-फ्री झारखंड” बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा.
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रांची से राजेश तोमर की रिपोर्ट