Aurangzeb Tomb Controversy: देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि औरंगजेब की कब्र को हटाने के पक्ष में सभी लोग हैं. यह काम कानून के दायरे में किया जाना चाहिए.
Aurangzeb Tomb Controversy: महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर सियासत गर्म है. इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने औरंगजेब की कब्र को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने कहा कि औरंगजेब की कब्र को हटाने के पक्ष में सभी लोग हैं.
उन्होंने आगे कहा कि यह काम कानून के दायरे में किया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली से लेकर आगरा तक शासन करने वाले औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र में क्यों बनाई गई और उससे जुड़े विवाद क्या हैं.
छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज ने की मांग
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को एक कार्यक्रम में यह बयान दिया है. उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि हर किसी का मानना है कि छत्रपति संभाजीनगर में मुगल बादशाह औरंगजेब का मकबरा हटा दिया जाना चाहिए. यह काम कानून के दायरे में रहकर किया जाना चाहिए क्योंकि पहले की कांग्रेस सरकार ने मकबरे को ASI यानि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में शामिल करा दिया था.
दरअसल, मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सतारा से BJP यानि भारतीय जनता पार्टी के सांसद उदयनराजे भोसले ने बड़ी मांग की थी. उन्होंने छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की बात कही थी. इसी मामले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह बयान दिया है.
बता दें कि महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने औरंगजेब की तारीफ की थी. इसके बाद विवाद बढ़ गया. बाद में अबू आसिम आजमी ने अपना बयान वापस भी लिया था. बता दें कि औरंगजेब का मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित खुल्दाबाद शहर में बनाया है.
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ASI के संरक्षण में है औरंगजेब का मकबरा
शहर में प्रवेश करते ही सबसे पहले दाईं तरफ औरंगजेब का मकबरा दिखाई देता है. मकबरा वर्तमान में ASI के संरक्षण में है, जिसे एक राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शेख शुकूर नाम के शख्स मकबरे की देखभाल करते हैं. औरंगजेब के आदेश पर ही मकबरे को साधारण तरीके से बनाया गया है.
इतिहासकारों की मानें तो औरंगजेब की मृत्यु साल 1707 में महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुई थी. इसके बाद शव को खुल्दाबाद ले जाया गया. औरंगजेब के बेटे आजम शाह ने ही मकबरे का निर्माण कराया था. कहा जाता है कि औरंगजेब ने मौत के बाद अपने गुरु सूफी संत सैयद जैनुद्दीन के पास ही दफनाए जाने की आदेश दिया था.
साल 1904 में भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन ने मकबरे को सही कराया और संगमरमर से सजावट कराई थी. इसके बाद से औरंगजेब और उसकी कब्र हमेशा से विवादों में रही है. अब हाल में इस कब्र को लेकर विवाद उठने लगा है. साथ ही कई हिंदू संगठनों ने इसे तोड़ने की मांग सरकार से की है.
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