Life at Antarctica: अंटार्कटिका को इस धरती पर सबसे ठंडा और सबसे सूखा महाद्वीप माना जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी की अंटार्कटिका एकमात्र ऐसा महाद्वीप है जहां कोई भी स्वदेशी मानव आबादी नहीं रहता है.
27 May, 2024
Life at Antarctica: अंटार्कटिका को इस धरती पर सबसे ठंडा और सबसे सूखा महाद्वीप माना जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी की अंटार्कटिका एकमात्र ऐसा महाद्वीप है जहां कोई भी स्वदेशी मानव आबादी नहीं रहता है. साल 1820 से इसकी खोज की गई थी और इससे पहले इस बर्फीले महाद्वीप को कोई भी नहीं जानता था, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या लोग अंटार्कटिका में रह सकते हैं?
कोई भी मूल निवासी नहीं
बता दें कि अंटार्कटिका में कोई भी मूल निवासी नहीं है और न ही कोई स्थायी निवासी या नागरिक है, लेकिन फिर भी लोग यहां बहुत से लोग रहते हैं. बताया जाता है कि हर गर्मियों के मौसम में अंटार्कटिका में 5 हजार से ज्यादा वैज्ञानिक और शोधकर्ता आते हैं जो यहां आकर रहते हैं. इसके अलावा अभियान क्रूज जहाजों पर हर साल लगभग 45 हजार अंटार्कटिक पर्यटक आते हैं. बात करें अगर सर्दियों की तो यहां मुश्किल से 1 हजार लोग ही रहते हैं वो भी वैज्ञानिक कर्मचारी होते हैं, जो शोध करते हैं.
सर्दियों में यात्रा करना होता है जोखिम भरा
अंटार्कटिका में लगभग 66 वैज्ञानिक स्टेशन हैं, जो कि राष्ट्रीय अनुसंधान के रूप में काम करता है. ये सभी छोटी बस्तियों में रहते हैं, जिनकी संख्या 1300 से लेकर छह तक हो सकती है. वैज्ञानिक यहां 3-6 महीने के लिए रहते हैं, हालांकि कुछ ऐसे भी हैं जो 15 महीने तक रहते हैं. बता दें कि केवल गर्मियों के मौसम में ही वैज्ञानिक एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जाते हैं, क्योंकि सर्दियों में समुद्री बर्फ और तेज हवाओं के कारण यात्रा करना जोखिम भरा होता है. कई ऐसे भी वैज्ञानिक स्टेशन हैं जो कठोर सर्दियों के दौरान बंद हो जाते हैं.
कैसे रहते हैं यहां लोग
वहां रहने वाले लोगों के लिए स्टेशन के आकार के आधार पर मेस हॉल, चिकित्सा सुविधाएं, शैक्षणिक संस्थान और यहां तक कि ग्रीनहाउस भी होते हैं. मनोरंजन और समूह गतिविधियों के लिए छात्रावास-शैली के आवास और सामुदायिक क्षेत्र भी होते हैं. अंटार्कटिका में इतना ज्यादा ठंड होता है कि इंसुलेटेड बूट, भारी वाटरप्रूफ जैकेट और मोटे ओवरपैंट के बिना आप बाहर नहीं निकल सकते हैं. खराब मौसम में इमारतों के बीच घूमना भी काफी खतरनाक हो जाता है. सर्दियों में दृश्यता इतनी कम हो जाती है कि किसी को भी बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है.
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