Uttarakhand: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कई गांवों में अब ताले लगाने की नौबत आ गई है. इसकी बड़ी वजह है लोगों का वहां से पलायन करना.
Uttarakhand: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कई गांवों में खाली पड़े घरों की कतारें गमगीन कहानी बयां करती हैं. यहां रहने वाले लोगों को पलायन की वजह से अब ये गांव उजड़ने की कगार पर हैं. रोजगार के कम मौके, टूटी-फूटी सड़कों, पानी की किल्लत और स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के बुनियादी ढांचे में कमी होने की वजह से गांव के लोगों के पास बेहतर जिंदगी की तलाश में लोग पलायन करने को मजबूर हैं.
जरूरत सेवाओं की वजह से मजबूर
गांव वालों की दिक्कतें सिर्फ इतनी ही नहीं है कि उन्हें जरूरत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, बल्कि इंसान-जानवर के बीच संघर्ष जैसी चुनौती से भी उन्हें हर रोज गुजरना पड़ रहा है. निराश लोगों का कहना है कि अपनी मुश्किलों को हल करने की गुहार लगाते-लगाते वे थक गए हैं. उनकी मानें तो तमाम दिक्कतों को लेकर आधिकारियों और सरकारी कार्यकर्ता की चुप्पी से एक के बाद एक पहाड़ी गांव खोमीशी से खत्म होते जा रहे हैं. हर दिन अपने गांव से कई किलोमीटर सफर कर स्कूल जाने वाले बच्चे जंगली जानवरों से हुई भयावह मुठभेड़ों के बारे में बताना नहीं भूलते हैं.
पलायन के लिए सरकारी नीति जिम्मेदार
कई लोगों का मानना है कि न सिर्फ अल्मोड़ा बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य में बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन के लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार हैं. लोगों ने चेतावनी दी है कि बुनियादी सुविधाएं और रोजगार के मौके सुनिश्चित करने के लिए सरकार की तरफ से सही कार्रवाई नहीं किए जाने पर, युवाओं का शहरों की ओर लगातार पलायन इन इलाकों को भूतहा गांवों में बदल देगा.
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