Varanasi Temple Controversy : संभल के बाद वाराणसी में एक 40 सालों से बंद पड़े मंदिर की तलाश की गई है. जहां इसे लोग अब खुलवाने की मांग कर रहे हैं.
Varanasi Temple Controversy : वाराणसी के मुस्लिम बहुल इलाके मदनपुरा की घनी बस्ती में संभल के बाद 40 सालों से बंद ‘मंदिर’ मिला है. मंदिर की खबर मिलने के बाद भारी संख्या में लोग मदनपुरा की बस्ती में पहुंच गए. साथ ही वहां पर कुछ महिलाओं ने शंखनाद किया और हर-हर महादेव के नारे लगाए. इसी बीच अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि जिला प्रशासन ने करीब 40 सालों से बंद एक मंदिर के स्वामित्व के कागजों की तलाश शुरू कर दी है. वहीं, बंद मंदिर को कुछ लोगों ने फिर से खोलने की मांग की है.
मदनपुरा में इकट्ठा हुए लोग
शहर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने कहा कि हमें मंदिर की सूचना मीडिया से मिली है. उन्होंने कहा कि अब हम आने वाले तीन-चार दिनों में इसकी जांच करेंगे. साथ ही कानूनी सलाहकारों की हमारी एक टीम इसके स्वामित्व की जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर मंदिर की जमीन को सार्वजनिक घोषित कर दिया जाता है तो यह सभी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा. वहीं, सोमवार को सनातन रक्षा दल के अध्यक्ष अजय शर्मा के नेतृत्व में कई लोग मदनपुरा इलाके में इकट्ठा हो गए और मंदिर खोलने की मांग करने लगे.
कागजातों की तलाश करने पहुंची टीम
मंदिर को लेकर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि मंदिर को एक बार फिर खोलने का प्रयास किसी विवाद या हिंसा को जन्म देना नहीं है. बस यह एक क्षेत्र में स्थित है जहां पर भारी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है. आलोक वर्मा ने दावा किया कि मंदिर के आसपास वाली जमीन पर कभी हिंदुओं की बड़ी आबादी बसती थी लेकिन अब यहां पर ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं और यही वजह रही कि मंदिर में पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार कम होती चली गई. दूसरी तरफ जिला प्रशासन और पुलिस की एक टीम मंदिर के स्वामित्व के कागज देखने के लिए पहुंची. जहां काशी जोन के डीसीपी गौरव बंसवाल ने कहा कि स्थानीय लोगों से पता चला है कि मंदिर करीब 40 सालों से बंद पड़ा है.
खंगाले जा रहे हैं पुराने रिकॉर्ड
डीसीपी ने आगे कहा कि किसी को नहीं पता है कि मंदिर के ताले की चाबी किसके पास है. अब कुछ लोग मांग कर रहे हैं कि मंदिर का तोला खोला जाए और एक बार फिर यहां पर पूजा करवाई जाए. फिलहाल पुलिस अधिकारी कानूनी प्रक्रियाओं का पालने करते हुए पुराने रिकॉर्ड की खंगालने का काम कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि मंदिर को दोबारा खोलने से स्थानीय लोगों को कोई आपत्ति नहीं है.
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