Home Latest जहां औरंगजेब ने भी मानी हार, प्रयागराज में विराजमान हैं नागवासुकी; दर्शन बिना अधूरा है कुंभ का तीर्थ

जहां औरंगजेब ने भी मानी हार, प्रयागराज में विराजमान हैं नागवासुकी; दर्शन बिना अधूरा है कुंभ का तीर्थ

by Divyansh Sharma
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Mahakumbh 2025 Nagvasuki Mandir: नागवासुकी मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन न करने से महाकुंभ की यात्रा अधूरी रह जाती है.

Mahakumbh 2025 Nagvasuki Mandir: उत्तर प्रदेश के संगम तट पर महाकुंभ में आस्था का जनसमुद्र उतर आया है. 13 जनवरी यानी पौष पूर्णिमा के दिन से प्रारंभ हुए दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में श्रद्धा और भक्ति का सागर उमड़ पड़ा है.

इस बीच 20 जनवरी तक 8.79 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र त्रिवेणी में स्नान कर पुण्य अर्जित किया है. पवित्र डुबकी के बाद श्रद्धालु बड़ी संख्या में दारागंज इलाके की ओर बढ़ते हैं. दरअसल, दारागंज इलाके में स्थित है नाग वासुकी मंदिर, जिसे लेकर पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन न करने से महाकुंभ की तीर्थ यात्रा अधूरी रह जाती है.

भगवान विष्णु ने नाग वासुकी से किया था आग्रह

त्रिवेणी संगम से कुछ किलोमीटर उत्तर और प्रयागराज के दारागंज इलाके में स्थित नागवासुकी मंदिर नागों के राजा नाग वासुकी को समर्पित है. करीब 450 साल पुराने मंदिर का कई पौराणिक कथाओं में जिक्र आता है. पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों ने नाग वासुकी को ही सुमेरु पर्वत में रस्सी के रूप में लपेटकर क्षीर सागर से अमृत निकालने के लिए समुद्र मंथन किया था.

समुद्र मंथन के दौरान नागराज वासुकी लहूलुहान हो गए थे. उनकी यह हालत भगवान विष्णु से न देखी गई और उन्होंने नाग वासुकी को प्रयागराज में आराम करने का आग्रह किया था. इसके बाद नागराज वासुकी प्रयागराज में इसी जगह पर विराजमान हो गए थे. अब श्रद्धालु खड़ी सीढ़ियां चढ़कर नाग वासुकी के दर्शन करते हैं.

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औरंगजेब ने भी किया था मंदिर पर हमला

हिंदू धर्म में नाग भय और सुरक्षा दोनों के प्रतीक माने जाते हैं. नाग को खजाना, ज्ञान और ब्रह्मांड के रहस्यों का संरक्षक भी माना जाता है. नागराज का भगवान शिव से गहरा संबंध है, जिन्हें भगवान शिव अपने गले में धारण करते हैं. ऐसे में कुंभ, अर्धकुंभ और महाकुंभ के अलावा नाग वासुकी मंदिर में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार नाग पंचमी मनाया जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त नाग वासुकी की पूजा दूध और फूल चढ़ाकर करते हैं.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में पूजा के बाद श्रद्धालुओं को कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है. इस मंदिर को लेकर दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने जब भारत में मंदिरों को तोड़ना शुरू किया था, तब वह खुद नाग वासुकी मंदिर को ध्वस्त करने पहुंचा. लेकिन जैसे ही उसने मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया, वैसे ही अचानक तेजी से दूध की धार निकली और वह इससे डर कर बेहोश हो गया. बाद में सिर झुकाकर वापस लौट गया.

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