Home Latest संभल के बाद बरेली में बढ़ा तनाव! जानें क्या है 250 साल पुराने गंगा महारानी मंदिर को लेकर विवाद

संभल के बाद बरेली में बढ़ा तनाव! जानें क्या है 250 साल पुराने गंगा महारानी मंदिर को लेकर विवाद

by Divyansh Sharma
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Bareilly Ganga Maharani Mandir: गंगा महारानी मंदिर पर हिंदु समुदाय के लोगों का दावा है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सहकारी संस्था की आड़ में कब्जा लिया.

Bareilly Ganga Maharani Mandir: उत्तर प्रदेश में मथुरा, वाराणसी और संभल कई जिलों में इस वक्त धार्मिक जगहों और संपत्तियों को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है. इस बीच बरेली से भी बड़ी जानकारी सामने आ रही है. बरेली में स्थानीय लोगों ने 250 साल पुराने गंगा महारानी मंदिर पर अपना दावा जताया है. उनका आरोप है कि गंगा महारानी मंदिर पर एक सहकारी संस्था की ओर से अतिक्रमण कर लिया गया है.

साल 1950 तक हर रोज होती थी पूजा

बता दें कि यह पूरा मामला बरेली जिले कटघर इलाके का है. किला थाना क्षेत्र में स्थित गंगा महारानी मंदिर पर हिंदु समुदाय के लोगों का दावा है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सहकारी संस्था की आड़ में कब्जा लिया. स्थानीय निवासी नरेंद्र सिंह ने दावा किया कि उनके पूर्वजों ने लगभग 250 साल पहले यह मंदिर बनवाया था. इस मंदिर में आधिकारिक रूप से दस्तावेजीकरण किया गया और साल 1950 तक हर रोज पूजा की जा रही थी.

बाद में मंदिर के परिसर को वहां के तत्कालीन पुजारी ने एक समिति को किराए पर दे दिया. समिति के लोगों ने मंदिर में दूसरे समुदाय के एक चौकीदार को नियुक्त कर दिया. इसके बाद से धीरे-धीरे मंदिर में होने वाली पूजा रोक दी गई. साथ ही मंदिर में मौजूद मूर्तियों को हटा दिया गया. अंत में चौकीदार ने जमीन पर कब्जा कर लिया. मंदिर की जगह दौली रघुबर दयाल सहकारी समिति का बोर्ड की स्थापना कर दी गई.

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पुलिस अधिकारियों ने शुरू की जांच

स्थानीय निवासी नरेंद्र सिंह ने बताया कि हम जल्द ही जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे. ज्ञापन के जरिए अतिक्रमण हटाने और मंदिर को फिर से स्थापित करने की मांग की जाएगी. इस मामले पर किला पुलिस स्टेशन के प्रभारी इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह ने बताया कि विवाद एक समिति से संबंधित है जो कभी संपत्ति का प्रबंधन करती थी. इस संपत्ति के 28 ट्रस्टी थे और कुछ ने कथित तौर पर जमीन के कुछ हिस्से बेच दिए, जिनसे हम बात करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर कथित तौर पर कूड़े और कचरे से भरा हुआ है. स्थानीय अधिकारी स्थिति के बारे में अधिक जानकारी जुटा रहे हैं. वहीं, पूर्व चौकीदार वाहिद अली के बेटे साजिद ने जमीन हड़पने के आरोपों को खारिज कर दिया. उसने कहा कि समिति 1976 से यहां काम कर रही है और तब से हम यहां रह रहे हैं. इस विवाद के कारण तनाव बढ़ गया है और दोनों पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.

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