Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे और उनके नेताओं ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर नरेन्द्र मोदी की सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है.
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र चुनाव में करारी हार के बाद उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी शिवसेना-UBT को लेकर बहुत बड़ी जानकारी सामने आ रही है. शिवसेना-UBT के नेताओं ने एक बार फिर से हिंदुत्व एजेंडे पर लौटने के संकेत दे दिए हैं.
कुछ दिनों पहले उद्धव ठाकरे और उनके नेताओं ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर नरेन्द्र मोदी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसके बाद नेता मुंबई के दादर स्टेशन के बाहर 80 साल पुराने मंदिर को बचाने के लिए आगे आ गए हैं.
हनुमान मंदिर को गिराने के खिलाफ हुई शिवसेना-UBT
दरअसल, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के दादर स्टेशन के बाहर स्थित 80 साल पुराने हनुमान मंदिर को गिराने के लिए रेलवे की ओर से नोटिस जारी हुआ है. इस पर उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा था कि मंदिर को गिराने के लिए रेलवे ने फतवा जारी किया है. उन्होंने तंज कसा कि एक हैं तो सेफ हैं की बात कहने वाली BJP के राज में मंदिर तक भी सुरक्षित नहीं हैं. शिवसेना-UBT नेता आदित्य ठाकरे ने मंदिर में महाआरती भी की. वहीं, इससे पहले मंदिर भी सुरक्षित नहीं हैं. इससे पहले उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार पर कहा कि वहां इस्कॉन मंदिर जला दिया गया और हम फिर भी चुप हैं.
बता दें कि इसे लेकर सहयोगी दलों के साथ तनाव देखने को मिला. दरअसल, उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी और MLC मिलिंद नार्वेकर ने अपने X हैंडल पर 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की एक तस्वीर पोस्ट की थी. साथ ही बाल ठाकरे के उस बयान को भी लिखा गया था, जिसमें उन्होंने कहा था मुझे उन लोगों पर गर्व है जिन्होंने यह किया. इसे लेकर शिवसेना, कांग्रेस और NCP- शरद पवार के गठबंधन महा विकास आघाड़ी में शामिल समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र प्रमुख अबू आजमी नाराज हो गए और महा विकास आघाड़ी का साथ छोड़ने तक का एलान कर दिया था.
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चुनाव में हार के बाद एजेंडा बदलने की कोशिश
ऐसे में कहा जा रहा है कि मिलिंद नार्वेकर ने बिना उद्धव ठाकरे और पार्टी के नेतृत्व की जानकारी के बिना ऐसा पोस्ट नहीं किया होगा. साल 2019 में BJP का साथ छोड़ने वाली शिवसेना-UBT अब इस साल हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद अपना एजेंडा बदलने की कोशिश कर रही है. मुंबई लोकसभा की छह में से चार विधानसभा सीटें जीतने वाली शिवसेना-UBT पारंपरिक सीटों पर भी हार गई.
राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने हाल में ही कहा है कि शिवसेना-UBT ने कभी हिंदुत्व को नहीं छोड़ा और यह बात तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी स्पष्ट कर दी थी. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी पार्टी ‘एक हैं तो सुरक्षित हैं’ और ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे बयानों का सामना नहीं कर पाई. राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे ने इस मामले पर कहा कि शिवसेना-UBT को एहसास हो गया है और वह अपने मूल हिंदुत्व एजेंडे पर वापस आ गई है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इसका उद्धव ठाकरे को कितना फायदा मिलेगा.
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