जेल प्रशासन की लापरवाही से यदि कोई कैदी मर जाता है तो महाराष्ट्र सरकार मरने वाले कैदी के परिजनों को पांच लाख रुपए मुआवजा देगी.
Mumbai: जेल प्रशासन की लापरवाही से यदि कोई कैदी मर जाता है तो महाराष्ट्र सरकार मरने वाले कैदी के परिजनों को पांच लाख रुपए मुआवजा देगी. महाराष्ट्र सरकार ने यह निर्णय मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा मुआवजा नीति पर जारी निर्देशों के आधार पर लिया है. हिरासत में रहते हुए अप्राकृतिक कारणों से मरने वाले जेल कैदी के निकटतम परिजन को पांच लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा.
इसके अलावा यदि कोई कैदी हिरासत में रहते हुए आत्महत्या कर लेता है तो उसके परिवार को एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी. जबकि यदि किसी कैदी की मौत दुर्घटना, चिकित्सा लापरवाही, जेल अधिकारियों द्वारा हमला या कैदियों के बीच लड़ाई के कारण हुई है, तो 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि अगर ऐसे मामलों में जेल प्रशासन की लापरवाही साबित होती है, तो मृतक कैदी के परिजनों को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपए दिए जाएंगे.
आत्महत्या करने वाले कैदी के परिजनों को 1 लाख रुपए
अगर कोई कैदी आत्महत्या करता है, तो परिजनों को 1 लाख रुपए मिलेंगे. हालांकि सरकार ने यह भी कहा है कि अगर किसी कैदी की मृत्यु वृद्धावस्था से संबंधित बीमारियों, लंबी बीमारी, हिरासत से भागने की कोशिश करते समय दुर्घटना, जमानत पर बाहर होने या किसी बीमारी के लिए चिकित्सा उपचार कराने से इनकार करने के कारण होती है, तो प्रभावित परिवार को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा. यह नीति राज्य की सभी जेलों पर लागू होगी.
मुआवज़ा देने के लिए जेल अधीक्षक को प्रारंभिक जांच, पोस्टमार्टम, पंचनामा (मृत्यु से जुड़ी परिस्थितियों का विवरण), न्यायिक और मजिस्ट्रेट जांच और अन्य दस्तावेजों से संबंधित रिपोर्ट क्षेत्रीय प्रमुख को सौंपनी होगी. क्षेत्रीय प्रमुख बदले में विस्तृत जांच करेंगे और अंतिम प्रस्ताव (भुगतान के लिए) पुणे में अतिरिक्त महानिदेशक/महानिरीक्षक (जेल और सुधार सेवाएं) को सौंपेंगे. सरकार उनकी सिफारिशों के आधार पर मुआवज़े पर निर्णय लेगी और दोषी, लापरवाही या प्रशासनिक चूक पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी.
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