Haryana Election 2024 : चुनाव आयोग की तरफ से हरियाणा विधानसभा इलेक्शन की तारीख का एलान होने के बाद सभी राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई हैं. इसी बीच सबसे ज्यादा चर्चा तोशाम विधानसभा सीट की हो रही है, क्योंकि किरण चौधरी ने पाला बदल लिया है.
20 August, 2024
Haryana Election 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की तारीख का इलेक्शन कमीशन ने एलान कर दिया है. आयोग के अनुसार, राज्य में 1 अक्टूबर, 2024 को मतदान होगा और 4 अक्टूबर, 2024 को परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे. इसी बीच हम विधानसभा की 90 सीटों में से एक भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट की चर्चा करने जा रहे हैं. हरियाणा की एक प्रमुख नेता किरण चौधरी एक राजनीतिक परिवार से तालुक रखती हैं और 2005 में राजनीति में कदम रखने के बाद वह पहली बार साल 2009 में तोशाम विधानसभा सीट से जीतकर आई थीं. वहीं, उनके ससुर कांग्रेस नेता बंसीलाल भी तीन बार मुख्यमंत्री चुने गए हैं.
किरण चौधरी की है जाट समुदाय में पकड़
हरियाणा के जाट समुदाय में किरण चौधरी एक बड़ा नाम हैं और वह चार महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गई थीं. ऐसे में कहा गया कि किरण चौधरी के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. वहीं, साल 2019 के विधानसभा चुनाव में किरण चौधरी ने अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी BJP उम्मीदवार शशि रंजन परमार (Shashi Ranjaran Parmar) को करीब 18000 मतों के अंतर से हरा दिया था. इस दौरान तीसरे स्थान पर 7,471 वोटों के साथ JNJP के प्रत्याशी सीता राम रहे थे. बता दें कि साल 2014 में मोदी लहर होने के बाद भी वह तोशाम का दुर्ग बचाने में कामयाब रही थी. किरण चौधरी ने 2014 में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी इनेलो की प्रत्याशी कमला रानी को हराने में सफल रही थीं.
बंसीलाल का परिवार 11 बार चुनाव जीता
आपको बताते चले कि तोशाम विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल और उनके परिवार के सदस्य 11 बार चुनाव जीते हैं. इस सीट को बंसीलाल परिवार का अभेद्य किला माना जाता है. इसी किले को पुत्रबधु किरण चौधरी ने संभालकर रखा है, लेकिन वह अब BJP में शामिल हो गईं और पार्टी उनको राज्यसभा में भेजने पर विचार कर रही है. इसके अलावा अब लोगों के मन में सवाल चल रहा है कि विधानसभा चुनाव 2024 में इस सीट पर बंसीलाल परिवार का कौन-सा सदस्य परंपरा को आगे लेकर जाएगा. चौधरी के पाला बदलने पर एक तरफ कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है तो दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि चुनाव में बंसीलाल परिवार के सदस्यों की इस सीट पर इसलिए जीत होती थी क्योंकि वह कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरते थे.