Home RegionalDelhi रविवार को भी होगी संगीत, साहित्य और शेर-ओ-शायरी की ‘बरसात’; जानें क्या होगा जश्न-ए-रेख्ता में खास

रविवार को भी होगी संगीत, साहित्य और शेर-ओ-शायरी की ‘बरसात’; जानें क्या होगा जश्न-ए-रेख्ता में खास

by Divyansh Sharma
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Jashn-e-Rekhta music literature poetry special cultural festival

Jashn-e-Rekhta: इस साल देश के सबसे मशहूर साहित्य और संस्कृति के उत्सव जश्न-ए-रेख्ता का आगाज दिल्ली में शुक्रवार से हो चुका है.

Jashn-e-Rekhta: अल्लामा इकबाल का एक शेर है कि दिल से जो बात निकलती है असर रखती है, पर नहीं ताकत-ए-परवाज मगर रखती है.
कहते हैं कि महफिल में जब शेर-ओ-शायरी अपने पूरे शबाब पर होती है, तो लोगों की जुबां से निकलने वाले वाह-वाह, सुब्हान अल्लाह और मरहबा जैसे शब्दों से पूरी महफिल गुंज उठती है. अच्छा शेर, गजल और नज्म पढ़े जाने पर श्रोता अपने ही ढंग से दाद देते हैं. ऐसे ही कुछ अच्छे शेर, गजलों, सूफी संगीत, कव्वाली, मुशायरे और कहानी से आप रूबरू हो सकते हैं. हम बात कर रहे हैं, देश के सबसे मशहूर साहित्य और संस्कृति के उत्सव जश्न-ए-रेख्ता की.

दो सौ से अधिक कलाकारों ने किया मंत्रमुग्ध

दरअसल, इस साल देश के सबसे मशहूर साहित्य और संस्कृति के उत्सव जश्न-ए-रेख्ता का आगाज दिल्ली में शुक्रवार से हो चुका है. जश्न-ए-रेख्ता के नौंवे सीजन में हगर उम्र, हर धर्म और हर लिंग के साहित्य प्रेमियों का शेर-ओ-शायरी के साथ भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान दर्शकों ने साहित्य, भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का जश्न 15 दिसबंर तक मनाएंग.

रेख्ता फाउंडेशन की ओर से सालाना उत्सव की शुरुआत 40 से अधिक सीजन और दो सौ से अधिक कलाकारों के प्रदर्शन के साथ हुई. हर साल की तरह इस साल भी शेर, गजल, सूफी संगीत, कव्वाली, मुशायरा, कहानी सुनाना, कविता पाठ और इंटरैक्टिव सत्रों का आयोजन बड़े जोर-शोर से किया जा रहा है. इस बार सेलिब्रिटी टॉक और मास्टरक्लास को भी शामिल किया गया है.

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उर्दू संगीत और समकालीन शैलियों का मिश्रण

इस साल महोत्सव में जावेद अख्तर, कैलाश खेर, पॉपुलर मेरठी, पापोन, पर्निया कुरैशी, अली ब्रदर्स, पृथ्वी हल्दिया, कुतुबी ब्रदर्स, मेयांग चांग, ​​ज्ञानिता द्विवेदी, हसन कमाल, कविता सेठ, विद्या शाह और नूर जहीर जैसे मशहूर कलाकार, कवि, लेखक और विद्वान शामिल हो रहे हैं.

महोत्सव में उर्दू कविता में अनदेखी की गई राष्ट्रवादी भावना की खोज और व्यंग्य की पुरानी परंपरा पर विशेष चर्चा भी आयोजित की जा रही है. उर्दू भाषा के भीतर पनपी दृश्य और साहित्यिक कला परंपराओं पर खास चर्चा होगी. तीन दिवसीय उत्सव में उर्दू कविता और गजल के प्रख्यात कवियों और गजलकारों के प्रदर्शन भी आयोजित किए जा रहे हैं, जो पारंपरिक उर्दू संगीत और समकालीन शैलियों का मिश्रण पेश कर रहे हैं.

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