Delhi Assembly Election 2025: साल 2013 के चुनाव में कांग्रेस के ही समर्थन से AAP मुखिया अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली की सत्ता पर आसीन हुए थे.
Delhi Assembly Election 2025: देश की राजधानी दिल्ली में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इस बीच विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ब्लॉक के दो सहयोगी दलों के बीच की तल्खियां खुलकर सामने आ गई हैं. बुधवार को AAP यानी आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया कि AAP दिल्ली में किसी से गठबंधन नहीं करेगी.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी अपने बलबूते दिल्ली में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. बता दें कि AAP-कांग्रेस के बीच कभी दूरियां देखने को मिलती हैं, तो कभी सबसे गहरी दोस्ती. गौरतलब है कि कांग्रेस के ही समर्थन से अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली की सत्ता पर आसीन हुए थे.
जन लोकपाल बिल के मुद्दे पर दिया था इस्तीफा
बता दें कि साल 2013 में पहली बार AAP ने दिल्ली की सियासत में कदम रखा था. इस दौरान हुए चुनाव में AAP ने 70 में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को सिर्फ 8 सीटें ही मिली थी. वहीं, BJP यानी भारतीय जनता पार्टी ने 31 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी. किसी भी पार्टी को बहुमत न मिलने की स्थिति में कांग्रेस और AAP ने पहली बार हाथ मिलाया.
इस गठबंधन की सरकार में कांग्रेस और AAP की सहमति से अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. लेकिन जल्द ही गठबंधन पर सवाल उठने लगे कि जिस भ्रष्टाचार-जन लोकपाल बिल के मुद्दे उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा और अब उन्हीं के साथ गठबंधन की सरकार बना ली गई. महज 49 दिन बाद 14 फरवरी 2014 को अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा और कहा कि विधानसभा में बहुमत न होने के कारण वह जन लोकपाल बिल पास नहीं करा सकते.
I.N.D.I.A. ब्लॉक बनने के बाद आए साथ
इसके बाद साल 2015 में फिर से चुनाव हुए और AAP ने 70 में से 67 सीटों पर विजय पाकर इतिहास रच दिया. बता दें कि यह पहली बार था कि किसी भी पार्टी को दिल्ली में इतनी सीटें मिली थी. इस चुनाव में AAP और कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा. इसके बाद AAP-कांग्रेस के बीच की दूरियां इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कम हुई, जब AAP और कांग्रेस समेत 26 विपक्षी पार्टियों ने I.N.D.I.A. ब्लॉक बनाया.
दोनों दलों ने दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और गोवा में साथ ही लोकसभा का चुनाव भी लड़ा. पंजाब में दोनों दलों ने अकेले चुनाव लड़ा. दिल्ली में AAP ने 4 और कांग्रेस ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा. हालांकि, दोनों ही पार्टियों को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. इस दौरान दिल्ली में कांग्रेस नेताओं और AAP नेताओं के बीच टिकट बंटवारे पर तीखी बयानबाजी भी देखने को मिली. दोनों दलों के नेताओं ने एक-दूसरे के लिए न के बराबर प्रचार किया.
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कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं अरविंद केजरीवाल
चुनाव के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने एक इंटरव्यू के दौरान AAP के साथ गठबंधन को बहुत बड़ी गलती बताई थी. उन्होंने कहा था कि गठबंधन का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा. लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में चुनाव हुए. दो महीने तक दोनों दलों के बीच गठबंधन पर बातचीत होती रही, लेकिन चुनाव से ऐन वक्त पहले AAP ने कांग्रेस पर ठीकरा फोड़ते हुए अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया.
आखिरकार दोनों ही पार्टियां अकेले-अकेले मैदान में उतरी और कांग्रेस को 37 सीटें मिली. वहीं, AAP का खाता तक नहीं खुल पाया. सत्ता-विरोधी लहर होने के बाद भी BJP चुनाव जीत गई. वहीं, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने दो बार BJP को हराया है. ऐसे में चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि AAP के दिल्ली में आने से कांग्रेस कमजोर हुई है. शायद यही वजह है कि AAP और अरविंद केजरीवाल किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं और वह गठबंधन से दूर हो गए हैं.
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