Chhattisgarh Congress: कांग्रेस में भूपेश बघेल और टी एस सिंह देव के गुट आमने-सामने नजर आने लगे हैं. दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो चुकी है.
Chhattisgarh Congress: कर्नाटक के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के भीतर विवाद बढ़ने लगा है. छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता के बयान के बाद साफ तौर पर कांग्रेस में भूपेश बघेल और टी एस सिंह देव के गुट आमने-सामने नजर आने लगे हैं. नगरी निकाय चुनाव से पहले पार्टी के भीतर बढ़ता अंतर्कलह कांग्रेस के मुश्किल खड़ी कर सकता है.
चरण दास महंत से पूछे सवाल
दरअसल, नगरीय निकाय चुनाव के प्रचार के दौरान सरगुजा में छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अगला विधानसभा चुनाव टी एस सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ेगी. साथ ही दावा किया कि सिंह देव के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार भी बनेगी. चरण दास महंत के इस बयान में छत्तीसगढ़ कांग्रेस में राजनीतिक विवाद को हवा दे दी.
चरण दास महंत के इस बयान पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने चरण दास महंत पर पलटवार करते हुए पूछा कि क्या चरण दास महंत को कांग्रेस आलाकमान ने अधिकार दिया है कि वह इस तरह की घोषणा प्रदेश में कर सके. अगर वह यह घोषणा करने के लिए अधिकृत नहीं है, तो उनकी ओर से की जा रही घोषणा के भी कोई मायने नहीं है. चरण दास महंत को याद दिलाते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि नेतृत्व परिवर्तन का अधिकार सिर्फ और सिर्फ पार्टी आलाकमान का ही होता है.
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BJP ने ली जमकर चुटकी
दूसरी तरफ कांग्रेस में मची इस अंतर्कलह पर BJP यानि भारतीय जनता पार्टी जमकर चुटकी ले रही है. साथ ही कांग्रेस में मचे इस घमासान का फायदा निकाय चुनाव में उठाने के पूरी कोशिश शुरू कर दी है. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने जिस तरह से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है. जनता कांग्रेस के काले चेहरे को समझ चुकी है. उन्होंने आगे कहा कि अब कांग्रेस पार्टी किसी भी चेहरे पर चुनाव क्यों न लड़े, प्रदेश की जनता उन पर कभी भरोसा करने वाली नहीं है.
कांग्रेस की अंतर्कलह पर BJP भले ही खुश हो, लेकिन कांग्रेस के लिए यह बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है. वहीं, कांग्रेस आलाकमान ने वक्त रहते पार्टी नेताओं को एकजुट नहीं किया, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि नगरीय निकाय चुनाव के साथ ही अगले विधानसभा चुनाव में भी बड़ा नुकसान हो सकता है.
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