Home History Madhya Pradesh High Court: क्या है शरीयत, जिसके चलते खारिज हुई मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की की याचिका

Madhya Pradesh High Court: क्या है शरीयत, जिसके चलते खारिज हुई मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की की याचिका

by Live Times
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Madhya Pradesh High Court

Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पुलिस प्रोटेक्शन और मैरिज रजिस्ट्रेशन की मांग करने वाले मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की की याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम शरीयत के मुताबिक उनकी शादी कानूनी नहीं है.

31 May, 2024

Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुस्लिम युवक और हिंदू लड़की की शादी से जुड़े मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. दोनों ने कोर्ट में धर्म बदले बिना शादी को रजिस्टर करने और पुलिस सुरक्षा देने की मांग की थी. जिसको लेकर कोर्ट ने इस मामले में मुस्लिम पर्सनल एक्ट (Shariat ACT) का हवाला देते हुए बिना धर्मांतरण के शादी को अवैध करार दिया. साथ ही सुरक्षा देने से भी इनकार कर दिया है.

शरीयत के मुताबिक नहीं मानी जाएगी शादी

एडवोकेट जी. एस. अहलूवालिया की पीठ ने कहा कि मुस्लिम कानून के मुताबिक, मुस्लिम लड़के की किसी हिंदू लड़की से शादी कानूनी शादी मानी जाती है. यहां तक ​​कि अगर शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड भी हो, तो भी वो शादी कानूनी नहीं होगी. कोर्ट ने मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले की रहने वाली 23 साल की सारिका सेन और 23 साल के सफी खान की याचिका खारिज कर दी.

मुसिलम लड़के और हिंदू लड़की ने की थी अपील

मध्य प्रदेश में एक मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की ने अदालत से पुलिस प्रोटेक्शन और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अपनी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए निर्देश देने की मांग की थी और कहा था कि वे शादी के बाद भी अपने-अपने धर्मों का पालन करना जारी रखेंगे. लेकिन याचिकाकर्ताओं के वकील दिनेश उपाध्याय के मुताबिक, उनके मुवक्किलों ने अक्टूबर में शादी करने के लिए अनूपपुर जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन दिया था.

क्या है शरीयत कानून?

इस्लाम धर्म के लोगों के लिए शरीयत इस्लामिक समाज में रहने के तौर-तरीकों, नियमों और कायदों के रूप में कानून की भूमिका निभाता है. पूरा इस्लामिक समाज इसी शरीयत कानून या शरीया कानून के हिसाब से चलता है. शरीयत अरबी का एक शब्द है, जिसे शरीया कानून और इस्लामी कानून भी कहा जाता है. इस कानून की परिभाषा दो स्रोतों से होती है. पहला इस्लाम का पवित्र ग्रंथ कुरआन और दूसरा इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद द्वारा दी गई मिसालें हैं, जिन्हें इस्लामिक भाषा में सुन्नत भी कहा जाता है. कानून को बनाने के लिए इन दो स्रोतों को ध्यान से देखकर नियम बनाए जाते हैं. जिसमें स्वास्थ्य, खानपान, पूजा विधि(नमाज), व्रत विधि(रोजा), विवाह, जुर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था आदि, जैसी चीजें शरीयक में आती हैं.

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