Odisha Politics: ओडिशा में बीजू जनता दल की करारी हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और नवीन पटनायक के करीबी वी.के. पांडियन ने राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया है.
09 June, 2024
Odisha Politics: ओडिशा में बीजू जनता दल की करारी हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता वी के पांडियन ने राजनीति छोड़ने का फैसला किया है. पांडियन संन्यास का फैसला उस समय लिया है जब BJD राज्य में 24 साल बाद सत्ता से बाहर हुई है. पांडियन ने ओडिशा में BJD की हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है. हालांकि अभी एक दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पांडियन के तारीफ में कसीदे पढ़े थे. पटनायक ने कहा था कि ‘पांडियन ने राज्य के लोगों को दो तूफानों से बचाया, कोविड 19 के वक्त पर बहुत अच्छा काम किया.‘
संन्यास पर वी.के. पांडियन ने क्या कहा?
वी.के. पांडियन ने एक वीडियों जारी करते हुए कहा कि ‘अब मैं जानबूझकर खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करने का फैसला करता हूं. अगर मैंने इस यात्रा में किसी को ठेस पहुंचाई है तो मुझे खेद है. बीजू जनता दल की हार के लिए मैं सभी ‘कर्मियों’ सहित पूरे बीजू परिवार से माफी मांगता हूं.’ पांडियन ने ये भी कहा कि ‘राजनीति में शामिल होने का उनका एकमात्र इरादा नवीन पटनायक की सहायता करना था. इसीलिए उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा. मैं हमेशा ओडिशा को अपने दिल में और अपने गुरु नवीन बाबू को अपनी सांसों में रखूंगा.’
क्या रहे ओडिशा के चुनावी नतीजे?
ओडिशा की 147 सदस्यीय विधानसभा में BJP 78 सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है. वहीं, BJD के 24 साल के शासन को समाप्त कर दिया. हालांकि नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली BJD को 51 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 14 सीटें और सीपीआई (एम) को एक सीट मिली. सबसे हैरान करने वाला नतीजा रहा, BJD का किसी भी लोक सभा सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाना. BJP ने राज्य की 21 में से 20 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को एक सीट मिली.
BJD को क्यों खानी पड़ी मात?
बीजू जनता दल लगातार 5 बार भारी बहुमत से जीतने वाली सबसे लोकप्रिय पार्टी थी, लेकिन इस बार ऐसा क्या हो गया कि BJD मात खा गई. माना जाता है कि BJD की हार की वजह आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश करने वाले वीके पांडियन हैं. क्योंकि नवीन पटनायक ने उन्हें पार्टी की कमान पूरी तरह थमा दी थी. पांडियन ने ही प्रत्याशियों का चयन किया और पार्टी की ओर से प्रचार का पूरा जिम्मा भी उनके ही हाथों में था. लेकिन पार्टी के प्रचार में पांडियन अगर कहीं दिखे भी तो सिर्फ नवीन पटनायक ही मंच पर या रोड शो में दिखे.
नवीन पटनायक लोगों से कट गए थे
केवल चुनाव ही नहीं, पिछले कई महीनों की अगर बात करें तो BJD का कोई भी नेता, मंत्री या विधायक नवीन पटनायक से मिल तक नहीं पाया. पार्टी के सारे फैसले पांडियन ही ले रहे थे. यहीं नहीं मुख्यमंत्री के पास पहुंचने वाली फाइलों पर भी डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया. इस तरह सीएम होते हुए भी नवीन पटनायक लोगों की नजर से ओझल हो गए. इसी बात का फायदा BJP ने उठाया. BJP ने बहुत ही चालाकी से ओड़िया अस्मिता को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया. BJP लगातार जनता के मन में ये बात बिठाने में कामयाब रही कि नवीन पटनायक ने ओडिशा की सत्ता तमिलनाडु में जन्मे एक आदमी के हाथों सौंप चुके हैं.
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