CM Swearing Ceremony: राज्य के मुख्यमंत्री मौजूदा सरकार के प्रमुख की भूमिका निभाते हैं. संविधान द्वारा वर्णित मुख्यमंत्री के चयन के लिए कोई विशिष्ट प्रक्रिया नहीं है. हालांकि, CM पद की शपथ के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी हो जाता है.
CM Swearing Ceremony: हेमंत सोरेन 28 नवंबर को चौथी बार झारखंड के CM के तौर पर शपथ लेने वाले हैं. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि क्या होती है सीएम पद के लिए शपथ ग्रहण की प्रक्रिया. वैसे, मुख्यमंत्री की भूमिका प्रधानमंत्री की तरह ही होती है, फर्क सिर्फ इतना है कि मुख्यमंत्री राज्य स्तर पर काम करते हैं, जबकि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्तर पर काम करते हैं. राज्य विधानमंडल में बहुमत दल के नेता को आमतौर पर विशेष राज्य के राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है.
नियुक्ति की प्रक्रिया
भारत के संविधान के अनुसार, मुख्यमंत्री को नाममात्र की कार्यपालिका द्वारा मनोनीत किया जाता है. विधानसभा में सार्वजनिक चुनाव के बाद सदन में बहुमत सुनिश्चित करने वाला दल अपना उम्मीदवार नियुक्त करता है और नाममात्र की कार्यपालिका के समक्ष उसके नाम पर चर्चा करता है. राज्यपाल फिर उसे मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करता है और अपना मंत्रिपरिषद स्थापित करने के लिए कहता है. मुख्यमंत्री को राज्यपाल शपथ दिलाता है. ऐसे में जानते हैं भारत में मुख्यमंत्री बनने की जरूरी शर्तों और नियमों के बारे में.
नागरिकता
जो भी व्यक्ति मुख्यमंत्री पद के लिए नामांकित होगा उसका भारतीय नागरिक होना आवश्यक होता है.
आयु
मुख्यमंत्री की न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित नहीं है, लेकिन कानूनी रूप से उसकी आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए.
सदस्यता
मुख्यमंत्री को राज्य विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य होना चाहिए.
बहुमत की प्राप्ति
मुख्यमंत्री को उनकी पार्टी या उनके समर्थकों द्वारा प्राप्त बहुमत के आधार पर नियुक्ति मिलती है. उनकी पार्टी को चुनाव में अधिकांश सीटों पर जीत मिलनी चाहिए ताकि उन्हें मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त किया जा सके.
शपथ
मुख्यमंत्री पद की शपथ उपराष्ट्रपति या गवर्नर द्वारा दिलाई जाती है. शपथ के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का दर्जा दे दिया जाता है.
संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है, इसलिए शपथ ग्रहण राज्य के राज्यपाल के समक्ष किया जाता है.
पद की शपथ
शपथ लेते हुए चुने गए केंडिडेट को कहना होता है- मैं ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं भारत के राज्य मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और कर्तव्यनिष्ठा से निर्वहन करूंगा तथा मैं सभी प्रकार के लोगों के साथ संविधान और विधि के अनुसार भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना न्याय करूंगा.
— भारतीय संविधान, अनुसूची 3, पैरा 5
गोपनीयता की शपथ
मैं, <मंत्री का नाम>, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति को कोई मामला नहीं बताऊंगा या प्रकट नहीं करूंगा, जो <राज्य का नाम> राज्य के मंत्री के रूप में मेरे विचाराधीन लाया जाएगा या मुझे ज्ञात होगा, सिवाय इसके कि ऐसे मंत्री के रूप में मेरे कर्तव्यों के समुचित निर्वहन के लिए ऐसा करना आवश्यक हो.
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