Home National अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव का भी तोड़ा रिकॉर्ड, पिता के साये से निकलकर बनाई अलग पहचान

अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव का भी तोड़ा रिकॉर्ड, पिता के साये से निकलकर बनाई अलग पहचान

by Rashmi Rani
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Samajwadi Party Election Result

Samajwadi Party Election Result: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है. वहीं, समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है. सपा ने कुल 37 सीटों पर जीत हासिल की है. सपा के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.

06 June, 2024

Samajwadi Party Election Result: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है. जहां कांग्रस 99 सीट जीत कर देश की दूसरी बड़ी पार्टी बन गई है. वहीं, समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है. सपा ने कुल 37 सीटों पर जीत हासिल की है. सपा के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने पीता मुलायम सिंह यादव का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है. जब से पार्टी की स्थापना हुई तब से लकर अब तक पार्टी की यह सबसे बड़ी जीत है. बता दें कि I.N.D.I.A गठबंधन की ओर से यूपी में विपक्ष को लीड करने वाली अखिलेश यादव ही थे.

32 साल बाद मिली सबसे बड़ी जीत

4 अक्टूबर, 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन हुआ था. मुलायम सिंह यादव ने जनता दल (समाजवादी) से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी. 1992 के बाद पार्टी की यह बड़ी सफलता है. साल 2004 में जब लोकसभा चुनाव हुए थे तो पार्टी ने कुल 36 सीटों पर जीत हासिल की थी. जिसके बाद ही सपा यूपीए का हिस्सा बनी थी. अपने 32 साल के सफर में पार्टी ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन साइकिल हमेशा दौड़ती रही.

करीबी दोस्त पुकारते हैं ‘माइक्रोसाफ्ट’

अखिलेश यादव को उनके कुछ करीबी दोस्त ‘माइक्रोसाफ्ट’ के नाम से पुकारते हैं, जिसका मतलब है कि छोटा मुलायम सिंह यादव और लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्होंने इसे चरितार्थ भी कर दिया . यह पहले चुनाव था जब अखिलेश यादव के साथ उनके पिता मुलायम सिंह यादव नहीं थे. बता दें कि घर पर लोग अखिलेश यादव को टीपू के नाम से भी पुकारते हैं. 38 साल की उम्र में वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे.

लगातार तीन बार कन्नौज सीट पर जीत हासिल की

साल 2000 में जब मुलायम सिंह यादव ने अपने पद से इस्तीफे दे दिया था तो कन्नौज लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था और इसी दौरान एक जनसभा में मुलायम ने लोगों से कहा था कि अपने बेटा दे रहा हूं, इसे नेता बना देना. अखिलेश का यह पहला चुनाव था और उन्होंने इसमें जीत हासिल की थी. इसके बाद वो लगातार तीन बार इस सीट से जीतते रहे. साल 2019 में उन्होंने आजमगढ़ से चुनाव लड़ा और जीत अपने नाम की थी.

अपना वोट बैंक भी बढ़ाया

लोकसभा चुनाव 2014 में सपा ने केवल 37 सीटें जीती है बल्कि अपना वोट बैंक भी बढ़ाया है. इस चुनाव में सपा को 33.59 प्रतिशित वोट मिले हैं, जो कि सपा का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है. इस चुनाव BJP की जगह सपा ने करिश्मा कर दिखाया है. अखिलेश यादव की जीत की वजह उनका पीडीए का फार्मूला बताया जा रहा है, जिसका उन्होंने 2024 के चुनाव में ईजाद किया. इसका मतलब पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक है. हालांकि अल्पसंख्यकों पर सपा की पहले से ही पकड़ थी, लेकिन दलित सपा के साथ नहीं था.

पीडीए फार्मूले पर किया काम

इस चुनाव में अखिलेश यादव ने पीडीए फार्मूले पर काम किया. उन्होंने इसी के आधार पर पार्टी में लोगों को पद दिए और टिकट बंटवारे के समय भी इसका ख्याल रखा. इस बार अखिलेश यादव ने केवल पांच यादवों को ही टिकट दिया था और ये सभी उनके परिवार के ही थे. अखिलेश यादव ने दलित वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाई और दलित उम्मीवारों को खड़ा किया, जिसमें अयोध्या और मेरठ सबसे अहम थी. अयोध्या में भी सपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की, जो कि सबके लिए चौंकाने वाला था.

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