Election Commission: भारत में चुनाव आयोग के द्वारा इलेक्शन की तारीखों के एलान साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है, इस दिन के बाद से सरकारी कामकाज में बड़ा बदलाव आ जाता है.
16 March 2024
Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग आज दोपहर तीन बजे तारीखों का एलान करेगा, इसके साथ ही चार राज्यों में विधानसभा चुनाव (सिक्किम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश) की भी घोषणा हो सकती है. इलेक्शन कमीशन की तरफ से चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद पूरे देश में आचार संहिता (Code Of Conduct) लागू हो जाएगी. आईए जानते हैं कि क्या होती है आचार संहिता? इसे कौन लागू करता है? नियम के उल्लंघन करने पर क्या कार्रवाई होती है?
क्या होती है आचार संहिता
लोकतांत्रिक देश में इलेक्शन कमीशन स्वतंत्र, शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाता है, जिसको भारतीय संविधान की धारा 324 के अधीन संसद, विधानमंडल और चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से उसका पालन करने के लिए सुनिश्चित करता है. इसके साथ ही आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारी और अधिकारी की कमान चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग के हाथों में आ जाती है. बता दें कि आचार संहिता सभी राजनैतिक दलों की सहमति से लागू की जाती है.
सरकारी एलानों पर बैन
1) आचार संहिता के बाद चुनाव दिशानिर्देशों के अनुसार, मंत्रियों और अधिकारियों को किसी भी वित्तीय अनुदान देने की घोषणा पर प्रतिबंध लग जाता है.
2) सिविल सेवकों के अलावा सरकार किसी भी नई योजना और परियोजना का शिलान्यास और उद्घाटन नहीं कर सकती है.
3) इसके साथ ही सड़कों के निर्माण, पेयजल और अन्य सुविधाओं से संबंधित कोई वादा नहीं किया जा सकता है.
प्रचार-प्रसार से जुड़े नियम
1) मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर या अन्य किसी भी धार्मिक स्थल पर प्रचार-प्रचार नहीं किया जाएगा.
2) प्रचार के लिए राजनैतिक पार्टियां कितनी भी गाड़ियों का उपयोग कर सकती है, लेकिन उसके लिए रिटर्निंग ऑफिसर से प्रमीशन लेनी पड़ती है.
3) कोई भी रैली सुबह छह बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद नहीं की जा सकती है, इसमें डीजे भी शामिल है… लाउड स्पीकर का इस्तेमाल करना है तो वह सुबह 6 बजे के बाद और रात 10 बजे से पहले करना होगा.
चुनाव आयोग के जरूरी नियम
1) चुनाव शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से करवाने के साथ मतदाता को बिना बाधा या परेशानी के मताधिकार की पूरी आजादी सुनिश्चित करने के लिए ड्युटी पर तैनात अधिकारियों का सहयोग करना होगा.
2) वोटिंग से करीब 24 घंटे पहले कोई भी व्यक्ति या दल शराब परोसने और वितरित नहीं कर सकता है, इस पर पूर्णतया रोक लगाई गई है.
3) मतदान केंद्रों के आसपास राजनीतिक दल और उनके कार्यकर्ताओं
आचार संहिता लगने के बाद EC की पावर
1) आचार संहिता लगने के बाद केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों पर कई तरह की पाबंदियां लग जाती है, अगर सरकार कोई फैसला लेना चाहती है तो उसे चुनाव आयोग की प्रमीशन लेना जरूरी है.
2) केंद्र या राज्य सरकार का मंत्री उस अधिकारी को ऑर्डर नहीं दे सकता है जो चुनाव से संबंधित कार्य में लगाया गया है.
उल्लंघन करने पर होगी ये कार्रवाई
1) अगर कोई उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो उसके प्रचार पर 48 घंटे तक बैन लगाया सकता है.
2) भारतीय संविधान की आईपीसी , 1973 का आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1951 का लोक प्रतिनिधित्व का उपयोग किया सकता है.
3) किसी भी पार्टी को निलंबित और वापस लेने का अधिकार भी इलेक्शन कमीशन के पास है.
आचार संहिता की शुरुआत
आदर्श आचार संहिता की शुरुआत वर्ष 1960 के दौरान केरल में विधानसभा चुनाव आयोजित किए गए थे, तब प्रशासन ने राजनीतिक दलों से आचार संहिता बनाने के लिए कहा था. वहीं, आदर्श आचार संहिता भारत में पहली बार चुनाव आयोग ने न्यूतम आचार संहिता के शीर्षक के तहत 26 सितंबर 1968 के मध्यवधि के दौरान जारी की थी. इस संहिता को 1979, 1982, 1991 और 2013 में संशोधन भी किया गया था.