Jharkhand Politics: चंपई सोरेन (Champai Soren) ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) नेताओं के हाथों अपमान का सामना करने के बाद वह अपनी योजनाओं पर अडिग हैं.
21 August, 2024
Jharkhand Politics: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) ने बहुत बड़ा एलान किया है. झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा है कि मैं राजनीति नहीं छोड़ूंगा. मैं नई पार्टी बनाने के लिए तैयार हूं. बता दें कि इस बात का संकेत उन्होंने पहले ही दे दिया था कि विधायक दल की बैठक में हुए अपमान के बाद उनके पास तीन विकल्प थे. इसमें पहला, राजनीति से सन्यास लेना. दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना. वहीं, इससे पहले दावा किया जा रहा था कि वह जल्द ही BJP का दामन थाम सकते हैं. बता दें कि 67 वर्षीय आदिवासी नेता चंपई सोरेन को 1990 के दशक में झारखंड को अलग राज्य बनाने की लड़ाई में उनके योगदान के लिए ‘झारखंड का टाइगर’ उपनाम मिला है.
‘मैंने अपने छात्र जीवन से ही किया है संघर्ष’
चंपई सोरेन ने बुधवार को कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) नेताओं के हाथों अपमान का सामना करने के बाद वह अपनी योजनाओं पर अडिग हैं. JMM के वरिष्ठ नेता ने मंगलवार आधी रात के बाद दिल्ली से झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में अपने पैतृक गांव झिलिंगोरा पहुंचने के तुरंत बाद बड़ा एलान करते हुए कहा कि यह मेरे जीवन का एक नया अध्याय है. मैं राजनीति नहीं छोड़ूंगा, क्योंकि मुझे अपने समर्थकों से बहुत प्यार और समर्थन मिला है. पुराना अध्याय समाप्त हो गया है और मैं अब एक नई पार्टी बना सकता हूं. उन्होंने आगे कहा कि झारखंड के किसी भी व्यक्ति ने मुझसे संपर्क नहीं किया. यह झारखंड की धरती है. मैंने अपने छात्र जीवन से ही संघर्ष किया है. मैंने JMM पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन के नेतृत्व में अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन में भाग लिया था. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उन्हें समान विचारधारा वाला संगठन मिलता है, तो वह किसी भी पार्टी से हाथ मिला सकते हैं.
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पहले ही दे दिया था पार्टी छोड़ने का संकेत
बता दें कि इससे पहले रविवार को चंपई सोरेन ने अपने ‘X’ हैंडल पर एक लंबा पोस्ट कर पार्टी छोड़ने का संकेत दे दिया था. अपने पोस्ट में उन्होंने कहा था कि मेरे साथ हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था. पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि क्या लोकतंत्र में इससे अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनीतिक सफर में मैं पहली बार अंदर से टूट गया था. उन्होंने कहा कि अपमान और तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया. मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है. इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला, राजनीति से सन्यास लेना. दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना.
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