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Bihar News: महात्मा गांधी की अगुवाई में पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में हुआ था पहला जन आंदोलन

by Pooja Attri
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First People Movement: महात्मा गांधी की अगुवाई में बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में नील किसानों ने विद्रोह किया था. ये ब्रिटिश शासन का पहला बड़ा सामूहिक विरोध था. ऐतिहासिक विरोध की याद में मोतिहारी में एक पार्क और एक म्यूजियम बनाया गया.

20 May, 2024

East Champaran Mahatma Gandhi: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर था चंपारण सत्याग्रह. महात्मा गांधी की अगुवाई में बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में नील किसानों ने विद्रोह किया था. ये ब्रिटिश शासन का पहला बड़ा सामूहिक विरोध था. 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के साथ नील आंदोलन के साथ महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन में कदम रखा था. ऐतिहासिक विरोध की याद में मोतिहारी में एक पार्क और एक म्यूजियम बनाया गया. इसमें सत्याग्रह की तस्वीरें और उस दौर से जुड़े सामान हैं.

नील आंदोलन में गांधी ने किया था अहिंसा का प्रयोग

पूर्वी चंपारण के नील आंदोलन में महात्मा गांधी ने पहली बार अहिंसा का प्रयोग किया था. बाद में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा का बेहद असरदार तरीके से इस्तेमाल किया. सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के आदेश के बावजूद चंपारण से जाने से इनकार कर दिया था. इस घटना की याद में 48 फुट ऊंचा सत्याग्रह स्तंभ बनवाया गया.

मोतिहारी के बारे में युवा रैपर्स फैला रहे जागरूकता

मोतिहारी के इतिहास के बारे में सिर्फ गांधीवादी इतिहासकार ही नहीं, बल्कि युवा रैपर्स भी जागरूकता फैला रहे हैं. गांधीवादी रोजमर्रे की जिंदगी में महात्मा गांधी के अहिंसा दर्शन और दूसरे सिद्धांतों के पालन पर जोर देते हैं. उन्हें अफसोस है कि आज की तारीख में गांधीवादी आदर्शों को नजरंदाज किया जा रहा है. गांधीवादियों का कहना है कि बेशक कई लोग इस जगह को तीर्थ मानते हैं, फिर भी गांधी विचार और इस जगह के बारे में खास कर युवाओं में जागरूकता फैलाने की जरूरत है.

चम्पारण का इतिहास

चम्पारण के राजा उत्तानपाद के पुत्र भक्त ध्रुव ने तपोवन नामक स्थान पर ज्ञान प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की थी. एक ओर जहाँ चम्पारण की भूमि देवी सीता के कारण पवित्र है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक भारत में गाँधी जी का सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास का एक अमूल्य पृष्ठ है. राजा जनक के समय यह तिरहुत साम्राज्य का हिस्सा था. लोगों का मानना ​​है कि जानकीगढ़, जिसे चांचीगढ़ भी कहा जाता है, राजा जनक के विवेदा राज्य की राजधानी थी. जो बाद में छठी शताब्दी ईसा पूर्व में वैशाली साम्राज्य का हिस्सा बन गया. भगवान बुद्ध ने यहीं पर अपने उपदेश दिये थे, जिनकी स्मृति में ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में प्रियदर्शी अशोक ने स्तम्भ बनवाये और स्तूपों का निर्माण कराया. गुप्त राजवंश और पाल राजवंश के पतन के बाद मिथिला सहित पूरा चंपारण क्षेत्र कर्नाट राजवंश के अधीन हो गया. इसके बाद तक स्थानीय क्षत्रपों पर सीधे मुसलमानों का शासन था. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत के रैयत और स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर अप्रैल 1917 में महात्मा गांधी मोतिहारी आये और नील फसल की तीन कटु खेती के विरोध में उन्होंने सत्याग्रह का पहला सफल प्रयोग किया. यह आज़ादी की लड़ाई में नये चरण की शुरुआत थी. बाद में बापू यहां कई बार आये. अंग्रेजों ने 1866 में चंपारण को एक स्वतंत्र इकाई बना दिया था, लेकिन 1971 में इसे पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में विभाजित कर दिया गया.

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