Home Latest आखिर ऐसा क्या हुआ… जो रो पड़ा उत्तर प्रदेश का पूरा थाना, नम हो गईं पुलिसकर्मियों की भी आंखें

आखिर ऐसा क्या हुआ… जो रो पड़ा उत्तर प्रदेश का पूरा थाना, नम हो गईं पुलिसकर्मियों की भी आंखें

by JP Yadav
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आखिर ऐसा क्या हुआ… जो रो पड़ा उत्तर प्रदेश का पूरा थाना, नम हो गईं पुलिसकर्मियों की भी आंखें

UP Police News: एक दिन अचानक अखबार में प्रकाशित खबर देखकर स्वजन खोड़ा थाने पहुंचे और उन्होंने 30 साल पहले अपह्रत बच्चे को पहचान लिया. इसके बाद मां और बेटा दोनों फफक-फफक कर रो पड़े.

UP News: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. खोड़ा थाने से 7 साल की उम्र में गायब हुआ राजू नाम का बच्चा 30 साल बाद अपने परिवार से मिला. मां के साथ ही राजू के लिए भी यह चौंकाने वाला लम्हा था. सोशल मीडिया के दौर में अखबार में छपी खबर देखकर परिजन थाने पहुंचे और उन्होंने राजू की पहचान की. थाने में मौजूद मां और बहन से मिलकर राजू भावुक हो गया. पुलिस ने बताया कि राजू का असली नाम ओमराम है. उसका अपहरण 1993 में साहिबाबाद से हुआ था. दरअसल राजू को 8 सितंबर, 1993 को अगवा कर लिया गया था. इसके बाद परिवार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. काफी तलाश करने पर राजू के ना मिलने पर पुलिस ने अपहरण की फाइल ही बंद कर दी थी पर परिवार ने भी उम्मीद न छोड़ते हुए उसकी तलाश जारी रखी.

राजू से मिलने पहुंचे परिजन

पुलिस ने बताया कि शाम को अखबार में प्रकाशित फोटो और खबर राजू के चाचा ने देखी और स्वजन को जानकारी दी जिसके बाद से राजू की दो बहनें, मां और पिता खोड़ा थाने पहुंचे. बहन को देखकर राजू पहचान गया और बचपन के नाम से बुलाया. मां ने भी बेटे को कलेजे से लगाया और अपने आसूं नहीं रोक पाई, लेकिन पिता अपने बेटे को नहीं पहचान पा रहे थे.

कैसे हुआ था अगवा?

वर्ष 1993 में राजू अपनी बहन के साथ स्कूल से घर लौट रहा था. इसी दौरान राजू को अगवा कर लिया गया था. परिवार के मुताबिक अपहरणकर्ताओं ने पहले तो राजू की रिहाई के लिए फिरौती की मांग की, लेकिन उसके बाद पूरी तरह चुप हो गए. पुलिस भी राजू का पता लगाने में नाकाम रही.

राजू ने बताई आपबीती

उधर, अपने परिवार से मिलने के बाद राजू ने बताया कि अपहरणकर्ताओं ने उसे जैसलमेर में खानाबदोश चरवाहों को कथित रूप से बेच दिया जिन्होंने उसे बंधुआ मजदूर बना दिया. राजू का कहना है कि उसे रात में जंजीरों से बांध कर रखा जाता था. काम के दौरान उसकी पिटाई की जाती थी. उसे खाने के लिए बस एक रोटी दी जाती थी. किस्मत से राजू की मुलाकात एक नेक दिल ट्रक ड्राइवर से हो गई, जिसने राजू को उसके घर पहुंचाने का वादा किया. ट्रक ड्राइवर राजू को गाजियाबाद के एक पुलिस थाने में ले गया, जहां उसने अपनी आपबीती सुनाई तो वहां मौजूद सभी की आंखें भर आई.

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