Arvind Kejriwal Bail : दिल्ली शराब नीति में से जुड़े कथित रूप से भ्रष्टाचार मामले में 177 दिनों बाद अरविंद केजरीवाल जेल से रिहा हो गए हैं. जमानत देने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उनके ऊपर कई शर्तें लगा दी हैं.
13 September, 2024
धर्मेन्द्र कुमार सिंह, इनपुट एडिटर : दिल्ली शराब नीति (Delhi Liquor Policy) से जुड़े CBI मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जमानत मिल गई है और जेल से रिहा भी हो गये हैं. सीएम केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से बाहर आएं हैं. हालांकि, लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें इलेक्शन कैंपेन के लिए राहत मिली थी. अदालत ने जमानत के लिए वही शर्तें लगाई हैं, जो ED केस में बेल देते वक्त लगाई गई थीं. शराब घोटाले के मामले में केजरीवाल के खिलाफ ED और CBI का केस चल रहा है. ED मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी. AAP ने इस फैसले को सत्य की जीत बताया है जबकि BJP अभी भी केजरीवाल के इस्तीफे की मांग कर रही है.
केजरीवाल की क्या-क्या हैं मुश्किलें?
सीएम केजरीवाल भले ही जेल से रिहा हो गये हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के सामने मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय और न ही सचिवालय जा सकेंगे, यही नहीं किसी भी सरकारी फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं कर सकते हैं, जब तक ऐसा करना जरूरी न हो. साथ ही अपने ट्रायल को लेकर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं करेंगे इसके अलावा किसी भी गवाह से कोई भी बातचीत नहीं करेंगे. पाबंदी की मानें तो शराब घोटाले केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुंच नहीं रखेंगे और जरुरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे. मतलब एक तरफ से केजरीवाल मुख्यमंत्री पद बने रहेंगे लेकिन उनके अधिकार को कोर्ट सीमित कर दिया है.
क्या राहुल गांधी बिगाड़ेंगे केजरीवाल का खेल?
अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी (AAP) के सबसे बड़ा चेहरा हैं और उनकी पकड़ जनता में है. जेल से रिहाई होने के बाद वो हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच कार्यकर्ताओं में जान फूकेंगे, जमकर चुनाव प्रचार भी करेंगे. इन सब कदम से अरविंद केजरीवाल क्या पार्टी को इससे मजबूती देने का काम कर पाएंगे और क्या हरियाणा में पार्टी चमत्कार कर पाएगी? हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी में गठबंधन करने की कोशिश की गई लेकिन सीट के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियां सफल नहीं हो पाए. दोनों पार्टियों की कोशिश थी कि गठबंधन करने से विपक्ष का वोट नहीं बंटेगा और BJP को पटकनी देने में आसानी होगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका है. गौर करने की बात है कि लोकसभा चुनाव के दौरान शराब घोटालों के मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी ताकि वो चुनाव प्रचार कर सकें. केजरीवाल ने जमकर प्रचार किया बल्कि दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में कांग्रेस से गठबंधन भी किया था लेकिन तीनों राज्यों में AAP को एक भी सीट नहीं मिली. ध्यान देने की बात यह है कि दिल्ली की 07 सीटों पर लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 4 और कांग्रेस ने 3 सीटों मैदान पर उम्मीदवार उतारें थे. लेकिन गंठबंधन होने के बादव भी दोनों पार्टियों का हाथ खाली रहा और BJP अपने बलबूते पर सातों सीट जीत गईं. यही नहीं BJP को करीब 54.35 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि आप और कांग्रेस मिलकर भी करीब सिर्फ 43 प्रतिशत ही वोट मिले थे. हरियाणा में भले कांग्रेस को 10 से 5 सीटें मिली थी लेकिन आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी हालांकि कांग्रेस और AAP को करीब 47 फीसदी वोट मिले थे जबकि BJP को 1 प्रतिशत की कमीन होने के 46 प्रतिशत वोट मिले थे. ये बात साफ है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों मिलाकर हरियाणा में विधानसभा का चुनाव लड़ती तो शायद फायदा होता लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
क्या कांग्रेस के सामने केजरीवाल की उल्टी गिनती शुरू?
अरविंद केजरीवाल का उदय तब हुआ जब भ्रष्टाचार, पॉलिसी पैरालाइसिस और आर्थिक तंगी की वजह से कांग्रेस का अस्त होने लगा था. यही वजह रही कि केजरीवाल दिल्ली में लगातार विधानसभा चुनाव जीत रहें हैं. वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत विधानसभा में हुई थी लेकिन गौर करने की बात है कि BJP को कहीं पर केजरीवाल की पार्टी बेदखल नहीं कर पाई हालांकि दिल्ली के MCD चुनाव में BJP को पस्त करने में कामयाब हुई थी. अब कांग्रेस का उदय होने लगा तो केजरीवाल की राजनीतिक चमक कम होने लगी है. इसका जीता जागता उदाहरण दिल्ली और पंजाब लोकसभा का चुनाव था, दिल्ली में सत्ता में रहते हुए केजरीवाल कुछ नहीं कर पाए जबकि पंजाब में सत्ता में रहते हुए भी पार्टी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से काफी पीछे छूट गई. पंजाब की 13 सीटों में से कांग्रेस 7 और आम आदमी पार्टी 3 सीटों पर ही जीत मिली. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद यह माना जा रहा है कि BJP विरोधी वोट अब कांग्रेस की तरफ लौट रहें हैं, खासकर दलित, मुस्लिम वोट कांग्रेस की तरफ रूख कर कर रहें हैं. राहुल गांधी की स्वीकार्यरता विपक्षी पार्टियों और वोटरों में बढ़ रही है. जाहिर है कि जब कांग्रेस मजबूत होगी तो आम आदमी पार्टी कमजोर होगी. AAP हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कमाल नहीं कर पाई. अब हरियाणा के विधानसभा में आम आदमी पार्टी कमाल नहीं कर पाती है तो इसके साफ संकेत होंगे कि केजरीवाल की राजनीति की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.
धर्मेन्द्र कुमार सिंह, इनपुट एडिटर, लाइव टाइम्स