Home National ‘खुद को RSS का एकलव्य बताते हैं उपराष्ट्रपति’, जानें विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पर क्या कहा

‘खुद को RSS का एकलव्य बताते हैं उपराष्ट्रपति’, जानें विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पर क्या कहा

by Divyansh Sharma
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No Confidence Motion Against Vice President Jagdeep Dhankhar RS chairman opposition statement

No Confidence Motion Against Vice President: मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के पक्षपातपूर्ण व्यवहार ने हम सभी को मजबूर किया.

No Confidence Motion Against Vice President: एक दिन पहले सदन में शीतकालीन सत्र के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इसे लेकर विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के नेताओं की ओर से बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सबसे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमें निराशा है कि आजादी के 75वें साल में राज्यसभा के सभापति के पक्षपातपूर्ण व्यवहार ने हमें अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर किया.

सरकार की तारीफ करने का लगाया आरोप

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद दूसरा संवैधानिक पद है. उन्होंने दावा किया कि अबतक उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव कभी नहीं लाया गया, क्योंकि पिछले सभी उपराष्ट्रपति राजनीति और पक्षपातपूर्ण व्यवहार नहीं करते थे. उन्होंने जोर देकर कहा कि लेकिन आज हमें यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है कि संसद में राजनीति हो रही है.

साथ ही उन्होंने कहा कि हमें इस बात की निराशा है कि आजादी के 75वें साल में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पक्षपातपूर्ण व्यवहार ने हमें अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कभी सरकार की तारीफ करते हैं तो कभी खुद को RSS राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ‘एकलव्य’ बताते हैं. उन्होंने विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह काम करते हैं. विपक्षी सांसद के 5 मिनट भाषण पर वह 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं.

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राज्यसभा में न बोलने देने का लगाया आरोप

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन में गतिरोध के लिए जगदीप धनखड़ खुद ही जिम्मेदार हैं. राज्यसभा के सभापति का आचरण उनके पद की गरिमा के विपरीत है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यसभा के सभापति को हटाने का नोटिस व्यक्तिगत शिकायतों या राजनीतिक लड़ाई से संबंधित नहीं है. हम उनके व्यवहार और पक्षपातपूर्ण व्यवहार से तंग आ चुके हैं. ऐसे में हमारे पास उन्हें हटाने के लिए नोटिस जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.

उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने उन्हें उपराष्ट्रपति के पद से हटाने का नोटिस सौंप दिया है. वहीं, DMK के सदस्य तिरुचि शिवा ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की ओर से संसद में देश के लोकतंत्र पर खुला हमला किया जा रहा है. इसी के साथ TMC सांसद नदीमुल हक ने कहा कि वह विपक्ष के नेता की बातों से सहमत हैं. हमें राज्यसभा में अपनी बात कहने की अनुमति नहीं दी जाती है.

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