Mohan Bhagwat Statement: इंदौर में मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में 11 जनवरी को प्रतिष्ठा द्वादशी मनाई गई. अयोध्या में मंदिर बन गया. अब मन में बनना चाहिए.
Mohan Bhagwat Statement: RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर से अयोध्या को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सोमवार को कहा कि राम मंदिर के लिए आंदोलन किसी का विरोध करने नहीं, बल्कि देश के स्व को जगाने शुरू किया गया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुछ विरोधी शक्तियां राम मंदिर नहीं बनने देना चाहती थी, इसलिए मंदिर के लिए संघर्ष लंबा चला.
रामजन्भूमि के लिए आंदोलन को बताया यज्ञ
दरअसल, मध्य प्रदेश के इंदौर में सोमवार को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार के समारोह का आयोजन किया गया था. इस समारोह में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार श्री रामभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को प्रदान किया. इसी दौरान मोहन भागवत ने समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित भी किया. उन्होंने कहा कि भारत का स्व राम, कृष्ण और शिव हैं. शिव देश के कण-कण में है और कोई किसी भी पूजा पद्धति को माने, लेकिन स्व हम सभी पर लागू होता है.
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि रामजन्भूमि के लिए आंदोलन नहीं यज्ञ है. कुछ शक्तियां राम मंदिर को बनने नहीं देना चाहती थी, इसलिए मंदिर के लिए संघर्ष लंबा चला. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जन्मभूमि के दौरान विद्यार्थी पूछते थे कि रोजी रोटी के बजाए यह मंदिर क्यों लगा रखा है. उस समय मैं उनसे कहता था कि यह आंदोलन भारत के स्व को जगाने के लिए है और अब वही हो भी रहा है.
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राम मंदिर को लेकर पहले भी दिया है बयान
मोहन भागवत ने आगे कहा कि साल 1992 के आंदोलन के बाद लोग बोलते थे मंदिर वही बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताएंगे. पिछले साल जब मंदिर की प्रतिष्ठा हुई, तब वहां कोई झगड़ा नहीं हुआ. किसी तरह का कलह सामने नहीं आया. उन्होंने आगे कहा कि देवी अहिल्या ने अपना राज्य राम राज्य की तरह चलाया और अयोध्या में 11 जनवरी को प्रतिष्ठा द्वादशी मनाई गई. अयोध्या में मंदिर बन गया. अब मन में बनना चाहिए.
इसी समारोह में श्री रामभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने भी बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि अयोध्या के बाद मथुरा और काशी के देव स्थानों को मुक्त करने का समय आ गया है. बता दें कि पिछले साल 24 दिसंबर को RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जताई थी. उन्होंने का था कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद से कुछ लोग मानते हैं कि वह इस तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन जाएंगे. इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने यह भी कहा था कि देश को यह दिखाने की आवश्यकता है कि हम साथ रह सकते हैं. इसे लेकर कई तरह की सियासी अटकलों से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था.
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