Majrooh Sultanpuri : फिल्म इंडस्ट्री के विद्रोही शायर मजरूह सुल्तानपुरी की आज (24 मई) पुण्यतिथि (Death Anniversary) है, जीवन में कठिन संघर्ष के बाद 80 साल की उम्र में उन्होंने 24 मई 2000 को मुंबई में दम तोड़ दिया था.
24 May, 2024
Majrooh Sultanpuri Death Anniversary: ‘मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया’ यह चंद लाइन फिल्म इंडस्ट्री के विद्रोही शायर मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखी हैं. विद्रोही शायर होने के साथ-साथ प्रेम और सौंदर्य के महान गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को भला कौन नहीं जानता और आज हम आपको मजरूह सुल्तानपुरी की पुण्यतिथि (Death Anniversary) पर उनकी लिखे हुए नगमों से वाकिफ करवाएंगे.
दिल का भंवर करे पुकार
प्यार का राग सुनो प्यार का राग सुनो रे,
प्यार की ऊंचाई
इश्क़ की गहराई
पूछ लो हमारी आह से
आसमां छू लिया रे
-मजरूह सुल्तानपुरी
राजपूतों में जन्मे थे मजरूह
Majrooh Sultanpuri Biography: फिल्मी दुनिया में मजरूह सुल्तानपुरी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. उनका असली नाम असरार उल हसन खान था. मजरूह गीतकार और शायर के तौर जाने जाते हैं. उनका परिवार राजपूत से इस्लाम धर्म अपना चुका था, लेकिन हिंदू परंपराएं नहीं छोड़ी थीं. राजपूतों के परिवार में जन्म लेने की वजह से मजरूह काफी आक्रमक स्वभाव के थे. अपने आक्रमक स्वभाव के कारण उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को भी एक बार चुनौती दे दी थी, जिसकी वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. इसलिए भी उन्हें विद्रोही शायर कहा जाता था.
कैसे मिली प्रसिद्धि ?
वैसे तो मजरूह सुल्तानपुरी का असली नाम असरार उल हसन खान था, लेकिन एक गीतकार और शायर के तौर पर उन्हें प्रसिद्धि मजरूह सुल्तानपुरी के नाम से मिली, ऐसा भी बताया जाता है कि उनकी पैदाइश की जगह, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले का निजामाबाद गाव था. जहां उनके अब्बा पुलिस महकमे में तैनात थे. लेकिन उनकी पुरखों की असल जमीन सुल्तानपुर में थी. इसलिए भी उन्हें प्रसिद्धि मजरूह सुल्तानपुरी के नाम से मिली.
जवाहर लाल नेहरू को दी थी चुनौती
मजरूह सुल्तानपुरी को शेरो-शायरी से काफी लगाव था. और अक्सर वो मुशायरों में जाया करते थे. और उसका हिस्सा बनते थे. और इसी कारण उन्हें काफी नाम और शोहरत मिलने लगी. उनका परिवार राजपूत से इस्लाम अपना चुका था, लेकिन हिंदू परंपराएं छोड़ी नहीं थीं. राजपूतों के परिवार में जन्मे मजरूह के स्वभाव में आक्रामकता स्वाभाविक थी. इसीलिए उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को भी चुनौती दे दी थी और उन्हें जेल जाना पड़ा था. खैर, जेल जाने और वहां दो साल रहने के बाद भी मजरूह की आक्रामकता पर कोई फर्क नहीं पड़ा.
2000 से ज्यादा लिखे गाने
हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी के गीतों ने बॉलीवुड को गजब की रुमानियत दी. मजरूह ने पहली बार 1946 में रिलीज हुई ‘शाहजहां’ फ़िल्म के लिए गीत लिखे. इसके गाने इतने मकबूल हुए कि मजरूह को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा. उन्होंने करीब पांच दशकों तक 350 फिल्मों में 2000 से ज्यादा गाने लिखे, काफी नाम कमाने के बाद मजरूह सुल्तानपुरी कुछ समय से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे और उन्हें निमोनिया का गंभीर दौरा पड़ा और 80 साल की उम्र में 24 मई 2000 को मुंबई में उनकी मृत्यु हो गई.
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