Lal Bahadur Shastri Death Anniversary : लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर देश उन्हें याद कर रहा है. वह जीवन भर गांधीवादी रहे और जब किसी दुश्मन ने देश पर बुरी नजर डाली तो उन्होंने जंग का नेतृत्व भी किया.
Lal Bahadur Shastri Death Anniversary : भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 को हुआ था और 11 जनवरी, 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनकी रहस्मयी मृत्यु हुई. 11 जनवरी, 2025 को देश उनकी 49वीं पुण्यतिथि मना रहा है. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद 9 जून, 1964 को लाल बहादुर शास्त्री को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया था और वह करीब 18 महीने तक इस पद पर विराजमान रहे. इसी बीच साल 1965 में दो ऐसी घटनाएं हुई जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री को देश गर्व के साथ याद करता है. पहली घटना थी जब पाकिस्तान ने देश की सीमा के अंदर घुसने की कोशिश की. उस वक्त भारत के इस लाल ने 10 मिनट में लाहौर पर कब्जा करने का प्लान बना लिया था और उसी दौरान उन्होंने किसानों की उन्नति और खेती के कल्याण के लिए देश में ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था.
J&K के हालात बिगड़ने पर शास्त्री आगे बढ़े
साल 1965 में जम्मू-कश्मीर के हालात बिगड़ रहे थे और उस दौरान आधी रात को सेना के प्रमुख लाल बहादुर शास्त्री से मिलने के लिए पहुंचे. इस दौरान सेना प्रमुख ने शास्त्री से कहा कि हमें पाकिस्तान की हरकतों को सामने से तत्काल जवाब देना होगा. उस पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें देरी क्यों करनी. इसके बाद सेना प्रमुख ने कहा कि जवाबी कार्रवाई के लिए दूसरी तरफ मोर्चा खोलना होगा और हमारी सेना को लाहौर की ओर भेजना होगा. वहीं, शास्त्री ने कहा था कि जब पाकिस्तानी सैनिक अंतरराष्ट्रीय सीमा लांघकर जम्मू-कश्मीर में दाखिल हो गए हैं तो भारतीय सेना भी पीछे नहीं हटेगी वह भी सीमा पार करेगी. इसके बाद सेना प्रमुख से पूर्व पीएम ने कहा कि आप सभी मोर्चे खोल दीजिए और उसमें लाहौर को भी शामिल कीजिए.
इंडियन आर्मी ने लाहौर पर किया कब्जा
भारतीय सेना जब लाहौर की तरफ तेजी से बढ़ी तो उसके बाद युद्ध का रुख बदल गया और उस दौरान 7 से 20 सितंबर, 1965 तक सियालकोट में भारत-पाक के बीच जमकर गोली और बमबारी हुई. जहां सेना ने अपना शौर्य दिखाते हुए पाकिस्तानी सेना के 28 टैंकों पर कब्जा कर लिया. वहीं, इंडियन आर्मी पाकिस्तान में घुस गई और लाहौर के आसपास के ज्यादातर इलाकों पर अपना कब्जा जमा लिया. आखिरकार संयुक्त राष्ट्र (UN) के दखल के बाद 20 सितंबर 1965 सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पास करके युद्ध विराम का एलान कर दिया गया. जहां पर मजबूरी में राष्ट्रपति अयूब खान ने इंटरनेशनल दबाव के बाद सीजफायर का एलान कर दिया. इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री ने भी युद्धविराम का एलान किया. लेकिन युद्धविराम तक पाकिस्तान के 710 स्क्वायर किलोमीटर भूमी पर भारत ने कब्जा कर लिया था.
ताशकंद समझौते में क्या हुआ
भारत-पाकिस्तान समझौता सोवियत संघ के शहर ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तानी प्रेसिडेंट जनरल अयूब खान के बीच बातचीत हुई. जहां दोनों देशों के बीच समझौता हुआ जिसे ताशकंद समझौता भी कहते हैं. इस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच किसी प्रकार का शक्ति प्रयोग नहीं होगा और 25 फरवरी, 1966 तक सेनाएं अपनी सीमाओं पर चली जाएंगी. दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी फिर स्थापित किए जाएंगे. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री ने हाजीपीर और ठिथवाल को पाकिस्तान को वापस कर दिया था.
सहजता के प्रतीक थे शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री का जीवन बेहद साधारण रहा था और वह साधारण कपड़े ही पहनते थे. साथ ही उनका रहन-सहन भी काफी सादगीपूर्ण रहा था. खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनका जीवन सादा ही रहा. उन्होंने अपने पद का कभी न तो गलत उपयोग किया और न ही बड़ी संपत्ति कमाने का मन में कोई लालच लाए. वह सही मायनों में आम जन के सच्चे नेता थे जिन्होंने देश को ऊंचाईयों पर ले जाने का सपना देखा और उसके लिए हर संभव कार्य भी किया. उनकी सादगी और ईमानदारी ने ही आम जन के मानस में उनको लोकप्रिय बनाया था.
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