Home National RSS के 100 साल पूरे होने पर जानें इसका इतिहास, किस तरह पड़ा इसका नाम; ड्रेस कोड से लेकर प्रतिबंध तक ये है कहानी

RSS के 100 साल पूरे होने पर जानें इसका इतिहास, किस तरह पड़ा इसका नाम; ड्रेस कोड से लेकर प्रतिबंध तक ये है कहानी

by Live Times
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दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं.

Introduction

100 Years of RSS: दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं. आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के दिन डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. इस संगठन के साल 1975 में आपातकालीन के दौरान 50 वर्ष पूरे हो गए थे. उस दौरान आरएसएस और इससे प्रेरित राजनीतिक जनसंघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनीं. 1975 के बाद से धीरे-धीरे इस संगठन का राजनीतिक महत्व बढ़ता गया और इसका नतीजा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जैसे राजनीतिक दल के रूप में हुआ जिसे आमतौर पर संघ की राजनीतिक शाखा के रूप में देखा जाता है. राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य के लिहाज से साल 2025 दुनिया के सबसे बड़े गैर-सरकारी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए काफी अहम माना जा रहा है. 2025 में विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना के 100 साल पूरे हो जाएंगे. नागपुर के अखाड़ों से तैयार हुआ आरएसएस मौजूदा समय में विराट रूप ले चुका है. संघ आज जितना मजबूत और पावरफुल नजर आ रहा है, उसके लिए कई उतार-चढ़ाव भरे दौर से उसे गुजरना पड़ा है. इस तरह 17 स्वयंसेवकों से शुरू हुआ संघ आज विशाल संगठन के रूप में स्थापित है.

RSS Chief Mohan Bhagwat - Live Times

Table Of Content

  • कैसे तैयार हुई इसकी संरचना?
  • संघ की रचनात्मक व्यवस्था कुछ इस प्रकार है
  • संघ से जुड़े कुछ संबंधित संगठन
  • ये हैं RSS में कुछ प्रमुख संगठन
  • इतिहास
  • 17 लोगों के साथ बनीं संघ के गठन की योजना
  • विजयदशमी के दिन रखी गई नींव
  • कुछ इस तरह पड़ा संघ का नाम
  • कई बार लगे है प्रतिबंध
  • संघ का ड्रेस कोड
  • संघ में इन त्योहारों का बेहद महत्व
  • हेडगेवार ने शादी नहीं करने की खाई थी कसम
  • इन उपलब्धियों पर डालें नजर

कैसे तैयार हुई इसकी संरचना?

Organization structure of RSS - Live Times

संघ की संरचना की बात करें तो संगठनात्मक रूप से सबसे ऊपर संघ चालक होता है जो पूरे संघ को दिशा-निर्देश देता है. सरसंघचालक की नियुक्ति करने के लिए नॉमिनेशन किया जाता है. हर एक सर-संघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है. वर्तमान में संघ के प्रमुख के रूप में मोहन भागवत काम कर रहे हैं. संघ के ज्यादातर कामों को पूरा करने का काम शाखा के माध्यम से ही होता है, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर सुबह या शाम के समय एक घंटे के लिए स्वयंसेवकों का परस्पर मिलन होता है. वर्तमान में पूरे भारत में संघ की लगभग 55 हजार से ज्यादा शाखाएं हैं.

संघ की रचनात्मक व्यवस्था कुछ इस प्रकार है

  • केंद्र
  • प्रान्त
  • जिला
  • क्षेत्र
  • विभाग
  • तालुका/तहसील/महकमा
  • नगर
  • खण्ड
  • मण्डल
  • ग्राम
  • शाखा

संघ से जुड़े कुछ संबंधित संगठन

RSS Allied Organizations - Live Times

संघ केवल एक अकेला संगठन नहीं है. इससे जुड़े अनेकों संगठन हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित हैं और जो खुद को संघ का परिवार बताते हैं. संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशों में काम करता है. संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है और लगभग 200 से ज्यादा संघठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं. इसमें कुछ ऐसे प्रमुख संगठन है जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रिय है और समाज के लिए काम करते हैं जिसमें शिक्षा, सेवा, सुरक्षा, धर्म और संस्कृति शामिल हैं.

ये हैं RSS में कुछ प्रमुख संगठन

  • भारतीय जनता पार्टी
  • सहकार भारती
  • भारतीय किसान संघ
  • भारतीय मजदूर संघ
  • सेवा भारती
  • राष्ट्र सेविका समिति
  • अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
  • विश्व हिन्दू परिषद
  • हिन्दू स्वयंसेवक संघ
  • स्वदेशी जागरण मंच
  • सरस्वती शिशु मंदिर
  • विद्या भारती
  • वनवासी कल्याण आश्रम
  • मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
  • बजरंग दल
  • लघु उद्योग भारती
  • भारतीय विचार केंद्र
  • विश्व संवाद केन्द्र
  • राष्ट्रीय सिख संगत
  • हिन्दू जागरण मंच
  • विवेकानन्द केन्द्र

इतिहास

History of RSS - Live Times

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस साल 100 साल पूरा करने वाला है. लेकिन इसकी स्थापना के लिए कई लोगों ने अपनी जीवन को दांव पर लगाया है. दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में की थी. भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के साथ इस संगठन की स्थापना की गई थी. नागपुर के अखाड़ों से तैयार हुआ संघ अब विशाल रूप लें चुका है.

17 लोगों के साथ बनीं संघ के गठन की योजना

संघ के पहले सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार ने अपने घर पर 17 लोगों के साथ गोष्ठी में संघ के गठन की योजना बनाई. इस बैठक में हेडगेवार के साथ विश्वनाथ केलकर, भाऊजी कावरे, अण्णा साहने, बालाजी हुद्दार, बापूराव भेदी समेत कई लोग शामिल थे. इस दौरान संघ का नाम क्या होगा या ये किस तरह से काम करेगा, ये सारी चीजें धीरे-धीरे तय होती गईं. जिस समय इसके गठन की बात चल रही थी उस वक्त हिंदुओं को सिर्फ संगठित करने पर विचार चल रहा था. यहां तक कि संघ का नामकरण ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ भी 17 अप्रैल, 1926 को हुआ. इसी दिन हेडगेवार को सर्वसम्मति से संघ प्रमुख चुना गया, लेकिन उन्हें सरसंघचालक नवंबर 1929 में बनाया गया.

विजयदशमी के दिन रखी गई नींव

RSS established at Vijayadashami date - Live Times

उसके बाद से सबने मिलकर विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी. जब 1925 में मुंबई के मोहिते के बाड़े नामक जगह पर डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस की नींव रखी थी, तो ये RSS की पहली शाखा थी. वहीं, अब इसकी संख्या बढ़कर 55 हजार से ज्यादा हो गई है.

कुछ इस तरह पड़ा संघ का नाम

How RSS get their own name - Live Times

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ये नाम बड़े विचार-विमर्श के बाद रखा गया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जरीपटका मंडल और भारतोद्वारक मंडल इन तीन नामों पर कई दिनों तक मंथन हुआ. इसके लिए बाकायदा वोटिंग करवाई गई. बैठक में मौजूद 26 सदस्यों में से 20 सदस्यों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पक्ष में वोट किया, जिसके बाद आरएसएस अस्तित्व में आया. ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे’ प्रार्थना के साथ पिछले कई दशकों से लगातार देश के कोने कोने में संघ की शाखाएं लग रही हैं.

कई बार लगे है प्रतिबंध

Many times RSS banned in India - Live Times

संगठन पर कई बार प्रतिबंध भी लगे हैं. सबसे पहले साल 1975 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में जब देश को आपातकाल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था. उस समय तत्कालीन जनसंघ पर भी आरएसएस के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया था. आपातकाल के खत्म होने के बाद से जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केंद्र में मोरारजी देसाई की मिलीजुली सरकार बनी. तब से धीरे-धीरे इस संगठन का राजनीतिक महत्व बढ़ता गया और इसी परिणाम स्वरूप भारतीय जनता पार्टी जैसे राजनीतिक दल ने जन्म लिया.

यह भी पढ़ें: Modi Yunus Meeting: क्या PM मोदी और यूनुस की होगी मुलाकात? विदेश मंत्री ने किया खुलासा

संघ का ड्रेस कोड

RSS Uniform - Live Times

जब संघ की शुरुआत हुई तो उस दौरान संघ की शाखाओं में स्वयंसेवक खाकी शर्ट, खाकी पैंट, खाकी कैप और बूट में नजर आते थे, जो इसकी शुरुआती यूनिफॉर्म थी. हालांकि, बदलते समय के साथ इनमें भी कई बदलाव किए गए. साल 1930 में संघ खाकी के बदले काली टोपी का इस्तेमाल करने लगा, तो साल 1939 में संघ ने अपनी शर्ट के रंग में बदलाव करते हुए उसे खाकी से बदलकर सफेद कर दिया. वहीं, फिर साल 1973 में बूट की जगह सिंपल जूते और मोजे ने ले लिए. साल 2010 में बेल्ट में भी बदलाव हुआ. स्वयंसेवक चमड़े की जगह कैनवास बेल्ट का यूज करना शुरू कर दिया. इसके बाद साल 2016 में संघ ने खाकी निकर के बदले फुलपैंट को अपने ड्रेस कोड में शामिल कर लिया. वहीं, अगर इसके ट्रेनिंग की बात की जाए तो इसके 5 चरण होते हैं. पहला चरण प्रारंभिक वर्ग का होता है, जो तीन दिन चलता है. जिला स्तर पर होने वाले प्राथमिक शिक्षा वर्ग 7 दिन, क्षेत्रिय स्तर पर होने वाले संघ शिक्षा वर्ग-1 करीब 15 दिन, क्षेत्रिय स्तर पर होने वाले कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 करीब 20 दिन ऑल इंडिया लेवल पर कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 करीब 25 दिनों तक चलता है. संगठन के हिसाब से संघ ने पूरे देश को 44 प्रांत और 11 क्षेत्रों में बांटा हुआ है.

संघ में इन त्योहारों का बेहद महत्व

Festivals RSS celebrates - Live Times

साल भर में कई सारे त्योहार आते हैं पर संघ हर साल 6 त्योहार मनाता है. इनमें हिंदू वर्ष, हिंदू साम्राज्य दिवस, गुरु पूर्णिमा, रक्षा बंधन, मकर संक्रांति और विजयादशमी प्रमुख है. वहीं, अगर इसके वर्किंग स्ट्रक्चर पर एक नजर डाले तो संघ प्रमुख को सरसंघचालक कहते हैं. इसके बाद से इस लिस्ट में सरकार्यवाह आते हैं और फिर सह सरकार्यवाह, जो एक से अधिक हो सकते हैं. केंद्रीय कार्यकारी मंडल संघ की सबसे बड़ी बॉडी होती है, जो अगले चीफ की नियुक्ति करता है. संघ का उद्देश्य हिंदू समाज को सशक्त बनाना है. उसके धर्म और संस्कृति के आधार पर उसको मजबूत बनाना है. इस संगठन में 18 साल का कोई भी युवक इसका हिस्सा बन सकता है. वहीं, 18 साल से कम उम्र वालों बच्चों को बाल स्वयंसेवक कहा जाता है. अब 6 लोग संघ की कमान संभाल चुके हैं, जिनमें 1925-40 तक डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार, 1940-73 तक माधव सदाशिवराव गोलवलकर, 1973-93 तक मधुकर दत्तात्रय देवरस, 1993-2000 तक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया, 2000-09 तक कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन और 2009 से अभी तक डा. मोहनराव मधुकरराव भागवत प्रमुख हैं.

हेडगेवार ने शादी नहीं करने की खाई थी कसम

कलकत्ता में रत्नागिरी से आए आठले नाम के एक बम बनाने वाले व्यक्ति ने क्रांतिकारी हेडगेवार ने बम बनाना सीखा. आठले के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार डॉक्टर हेडगेवार और श्याम सुन्दर चक्रवर्ती ने छुप के किया. क्रांतिकारी रहकर ही डॉक्टर हेडगेवार ने कभी विवाह न करने का संकल्प किया था. अपने क्रांतिकारी जीवन में डॉक्टर हेडगेवार ने खुद ही शस्त्रों को उठाया और उसका प्रयोग किया. वह भी इतनी सावधानी से कि तत्कालीन अंग्रेज सरकार संदेह होते हुए भी उन्हें पकड़ न सकी. उनके प्रयासों ने देश के कई हिस्सों में अंग्रेज सरकार के खिलाफ असंतोष और संघर्षों को आगे बढ़ाया.

इन उपलब्धियों पर डालें नजर

आज संघ समाज के हर क्षेत्र सक्रिय है. जहां, एक तरफ साल 1962 के भारत-चीन युद्ध में संघ ने अहम भूमिका निभाई और सीमावर्ती इलाकों में रसद पहुंचाने में काफी मदद की थी. संघ की इस भूमिका से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू बहुत प्रभावित हुए थे जिसके बाद उन्होंने साल 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का न्योता दिया. ऐसा कहा जाता है कि सिर्फ दो दिनों की सूचना पर हजारों स्वयंसेवक वहां मौजूद हो गए थे. इतना ही नहीं वर्ष 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान भी संघ ने दिल्ली में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में मदद की थी. इसके साथ ही संघ राहत और पुनर्वास कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता रहा है. राहत और पुर्नवास संघ की पुरानी आदत है. साल 1971 में ओडिशा में और 1977 में आंध्र प्रदेश में आए चक्रवात के दौरान राहत और में अहम भूमिका निभाई है.

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