Home Latest ‘कश्यप के नाम पर हो सकता है कश्मीर का नाम’, अमित शाह ने इतिहासकारों से की बड़ी अपील

‘कश्यप के नाम पर हो सकता है कश्मीर का नाम’, अमित शाह ने इतिहासकारों से की बड़ी अपील

by Divyansh Sharma
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Jammu-Kashmir: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इतिहासकारों से अपील करते हुए कहा कि इतिहासकारों से मेरी अनुरोध है कि प्रमाण के आधार पर इतिहास लिखे.

Jammu-Kashmir: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि कश्मीर का नाम कश्यप के नाम पर हो सकता है. साथ ही उन्होंने इतिहासकारों से अपील करते हुए कहा कि इतिहासकारों से मेरी अनुरोध है कि प्रमाण के आधार पर इतिहास लिखे. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में आजादी के बाद कई गलतियां हुई हैं.

अमित शाह ने इतिहासकारों से की अपील

दरअसल, दिल्ली में गुरुवार को ‘जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख थ्रू द एजेस’ पुस्तक के विमोचन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसी विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कई बड़ी बातों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने ही कश्मीर के इतिहास को किताबों के जरिए बताने की कोशिश की. ऐसे में मेरी इतिहासकारों से अपील है कि प्रमाणिकता के आधार पर इतिहास को लिखें.

150 साल पूराने दौर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 150 साल पहले के दौर में इतिहास का मतलब दिल्ली दरीबा से बल्ली मारान तक और लुटियन्स से जिमखाना तक का था. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह समय मुगल शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से खुद को मुक्त करने का है.

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अनुच्छेद 370 को बताया जिम्मेदार

अमित शाह ने यह भी जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत से न टूटने वाला जोड़ है. उन्होंने आगे कहा कि लद्दाख में प्राचीन मंदिर तोड़े गए और जम्मू-कश्मीर में आजादी के बाद गलतियां हुई और फिर उन्हें सुधारा भी गया. आदि शंकराचार्य, सिल्क रूट और हेमिष मठ का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में ही भारत की संस्कृति की नींव पड़ी थी.

उन्होंने फिर दावा किया कि सूफी, बौध और शैल मठ जैसे संप्रदायों ने कश्मीर में विकास किया. अब देश की जनता के सामने सही चीजों को रखा जाए. साथ ही उन्होंने दावा किया कि अनुच्छेद 370 और 35A ने जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में बाधा डाली. बाद में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि 370 ने ही घाटी में अलगाववाद के बीज बोए थे, जो बाद में आतंक में बदल गया.

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