Jaish-e-Mohammed: ढेर किए गए आतंकियों के पास से एक वायरलेस सेट मिला है, जिससे उनके जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े होने की पुष्टि हो गई है. वह आतंकी बड़े हमले की तैयारी में थे.
Jaish-e-Mohammed: जम्मू-कश्मीर के अखनूर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकियों को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है.
तीनों आतंकी प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य थे. इसके साथ ही सेना को इस बात की भी जानकारी मिली है कि वह सभी हाल में ही सीमा पार कर जम्मू-कश्मीर में दाखिल हुए थे.
बता दें कि इससे पहले जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने कई बड़े हमलों समेत साल 2019 में हुए पुलवामा हमले को अंजाम दिया था.
Jaish-e-Mohammed: बट्टल के रास्ते भारत में दाखिल हुए
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, बुधवार को सेना के अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद के मारे गए आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के सदस्यों की ओर से घुसपैठ में उपयोग किए जाने वाले रास्तों के सहारे घाटी में दाखिल हुए थे.
सेना के अधिकारियों ने यह भी बताया कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी बड़े हमले की तैयारी में थे. हालांकि, बट्टल के रास्ते अखनूर पहुंचे आतंकियों को सेना ने ढेर कर दिया था. ढेर किए गए आतंकियों के पास से एक वायरलेस सेट मिला है, जिससे उनके जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े होने की पुष्टि हो गई है.
अधिकारियों ने कहा कि आतंकी बड़े हमले के लिए सामान्य रणनीतियों के उलट नए रास्तों का इस्तेमाल कर घुसपैठ करने में सफल हुए थे. बता दें कि अब इस बात की भी जानकारी सामने आ रही है कि आतंकियों के घुसपैठ की जानकारी पिछले साल दिसंबर में सामने आई थी.
Jaish-e-Mohammed: 2016 में उरी हमले को भी दिया था अंजाम
यह वही संगठन है, जिसने साल 2016 में उरी हमले को भी अंजाम दिया था. वहीं, पुलवामा हमले में भी जैश-ए-मोहम्मद का नाम सामने आया था.
साल 2019 में हुए पुलवामा हमले में भारतीय सेना के 40 जवान शहीद हो गए थे. बता दें कि इस संगठन की शुरुआत साल 2000 में 31 जनवरी को आतंकी मौलाना मसूद अजहर ने कराची में की थी.
मौलाना मसूद अजहर को 31 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 के अपहरण के बाद आतंकियों के साथ बंधकों की अदला-बदली के दौरान भारतीय जेल से रिहा किया गया था.
साल 2001 में अमेरिका ने और इसके एक साल बाद इसे पाकिस्तान ने भी बैन कर दिया था. भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले को भी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने ही अंजाम दिया था, जिसके बाद भारत ने भी इसे बैन कर दिया था.
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Jaish-e-Mohammed: अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था अबू जहल
बता दें कि मसूद अजहर को कश्मीर में एक मिशन के दौरान साल 1994 में भारतीय सेना ने कश्मीर के अनंतनाग जिले से गिरफ्तार कर लिया था.
रिहाई के बाद पाकिस्तान में भाषण देते हुए मसूद अजहर ने कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को खत्म कर देगा.
अटल बिहारी वाजपेयी ने उसे ‘अबू जहल’ (अज्ञानता का जनक) कहा था. उसने जोर दिया कि जैश-ए-मोहम्मद भारत के खिलाफ अपनी लड़ाई में यह संगठन न केवल कश्मीर को आजाद करेगा, बल्कि बाबरी मस्जिद पर भी कब्जा करेगा.
पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड भी मसूद अजहर ही था. साल 2016 के उरी हमले के अलावा जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान में भी हमले करता रहा है. साल 2009 में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर लाहौर में इसी ने हमला कराया था.
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