भारत और श्रीलंका मिलकर खनन क्षेत्र में नए अवसर तलाशेंगे. इसके अलावा महत्वपूर्ण खनिजों की खोज में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे. नई दिल्ली के शास्त्री भवन में शनिवार को दोनों देशों के मंत्रियों ने इस पर अपनी सहमति जताई.
NEW DELHI: भारत और श्रीलंका मिलकर खनन क्षेत्र में नए अवसर तलाशेंगे. इसके अलावा महत्वपूर्ण खनिजों की खोज में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे. नई दिल्ली के शास्त्री भवन में शनिवार को दोनों देशों के मंत्रियों ने इस पर अपनी सहमति जताई. केंद्रीय कोयला और खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने शनिवार को नई दिल्ली के शास्त्री भवन में श्रीलंका के उद्योग और उद्यमिता विकास मंत्री सुनील हंडुनेट्टी के साथ बैठक की.
औद्योगिक विकास के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर
चर्चा में खनिज अन्वेषण और खनन में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया, विशेष रूप से दोनों देशों के आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने पर. इसके अलावा श्रीलंका के विशाल ग्रेफाइट और समुद्र तट रेत खनिज संसाधनों पर मुख्य ध्यान दिया गया. श्री दुबे ने कहा कि भारत के राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन का उद्देश्य देश के महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने के लिए लिथियम, ग्रेफाइट, निकिल, कोबाल्ट और तांबे जैसे आवश्यक कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना है.
दोनों देशों ने खनिज क्षेत्रों में अन्वेषण के अवसरों, तकनीकी सहयोग और निवेश की संभावनाओं पर गहन चर्चा की. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने श्रीलंका में खनिज मूल्यांकन करने में अपनी रुचि व्यक्त की. इसके अलावा श्रीलंका ने भारत से अनुरोध किया कि वह भारतीय कंपनियों को अपने समुद्र तट की रेत और ग्रेफाइट संसाधनों के अन्वेषण और विकास में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करे.
दोनों देशों के आर्थिक संबंध होंगे और मजबूत
इस दौरान भारत के खान मंत्रालय और श्रीलंका के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण एवं खान ब्यूरो के बीच “भूविज्ञान और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग” पर समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने पर भी चर्चा की गई. श्री दुबे ने कहा कि भारत और श्रीलंका खनन क्षेत्र में हमारा सहयोग हमारे आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेगा. दोनों देश एक साथ काम करके अपने खनिज संसाधनों की पूरी क्षमता का दोहन कर सकते हैं, जिससे आपसी विकास और स्थिरता सुनिश्चित हो सके.
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