Illegal Migrants Donkey Route: देवेंद्र सिंह उन 104 भारतीयों में से एक हैं, जिन्हें एक दिन पहले अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने भारत डिपोर्ट किया है.
Illegal Migrants Donkey Route: ’29 नवंबर को मैं भारत से थाईलैंड गया. थाईलैंड से वियतनाम और वियतनाम से चीन. फिर चीन से अमेरिका के साल्वाडोर पहुंचे. अमेरिका में हमें माफियाओं ने गन पॉइंट पर बंधक बना लिया. 40 लाख रुपये की फिरौती लेने के बाद रिहा किया.’ यह कहानी है ज्यादा पैसे कमाने और परिवार की स्थिति सही करने की आस में डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे मुजफ्फरनगर के देवेंद्र सिंह की.
गन पॉइंट पर बना लिया बंधक
दरअसल, मुजफ्फरनगर के देवेंद्र सिंह उन 104 भारतीयों में से एक हैं, जिन्हें एक दिन पहले अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने भारत डिपोर्ट किया है. लाइव टाइम्स के संवाददाता आशुतोष मिश्र से बात करते हुए देवेंद्र सिंह ने डंकी रूट के जरिए अपनी अमेरिका जाने की भयानक कहानी बताई है. देवेंद्र सिंह मारकपुर गांव के निवासी हैं. वह ज्यादा पैसे कमाने की लालच में अमेरिका गए थे.
बड़े-बड़े सपने लेकर अमेरिका पहुंचते ही उन्हें माफियाओं ने उन्हें गन पॉइंट पर बंधक बना लिया था. फिर उनके साथ शुरू हुआ मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का दौर. देवेंद्र सिंह को किसी ने बताया कि एक एजेंट लोगों को मेक्सिको शहर में काम दिलाता है. वह मैक्सिको में ड्राइवर का काम करने के लिए जाने को तैयार हुए. उन्होंने मेक्सिको जाने के लिए 40 लाख रुपये भारत के हरियाणा राज्य में स्थित करनाल जनपद में दी.
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चीन से अमेरिका गए थे देवेंद्र सिंह
देवेंद्र सिंह ने बताया कि वह भारत से थाईलैंड गए. थाईलैंड से वियतनाम और वियतनाम से चीन. फिर चीन से अमेरिका के साल्वाडोर पहुंचे. माफिया ने साल्वाडोर में पैसों की डिमांड रखी. पैसे देने के दो दिन बाद आर्टिमुल ले जाया गया. वहां भी उनसे पैसो की मांग की गई. कुछ दिन वह मेक्सिको बॉर्डर ले गए. मैक्सिको बॉर्डर पार कराने के लिए हरियाणा में 40 लाख रुपये जमा कराने पड़े और बॉर्डर पार कर दिया.
उन्होंने बताया कि अमेरिका और मेक्सिको के बीच में बॉर्डर पर 15 फीट ऊंची फेंसिंग थी. मेक्सिको जाने के लिए फेंसिंग पर लोहे की सीढ़ी बनाई हुई है. बीच में वाटर पेट्रोलिंग होती रहती है. वहीं पर माफिया हम जैसे लोगों को लेने आते हैं. अगर लोग फंस जाते हैं, तो वह 911 पर फोन कर पुलिस बुला लेते हैं. इसी तरह वह भी फंस गए.
बॉर्डर पर पुलिस और आर्मी ने उन्हें पकड़ लिया. क्रिमिनल रिकॉर्ड चेक करने के बाद कैंप में डाल दिया. उन्होंने बताया कि कैंप में एसी काफी लो टेंपरेचर पर चलता है. ऐसे में ठंड भी बहुत ज्यादा रहती है. फिर भी उन्हें पहनने के लिए सिर्फ सिंगल कपड़े दिए जाते हैं. खाने के लिए भी ज्यादा कुछ नहीं दिया जाता है. करीब ढाई महीने बाद घर पहुंचे देवेंद्र सिंह ने कहा कि अब अमेरिका जाने की हिम्मत नहीं हो रही है.
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