Home National तिरुपति-पाकला-कटपडी रेल लाइन का होगा दोहरीकरण, वेंकटेश्वर मंदिर का दर्शन होगा आसान

तिरुपति-पाकला-कटपडी रेल लाइन का होगा दोहरीकरण, वेंकटेश्वर मंदिर का दर्शन होगा आसान

by Sanjay Kumar Srivastava
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Pakala station

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में तिरुपति-पाकला-कटपडी एकल रेलवे लाइन खंड (104 किमी) के दोहरीकरण को स्‍वीकृति दे दी है.

New Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में तिरुपति-पाकला-कटपडी एकल रेलवे लाइन खंड (104 किमी) के दोहरीकरण को स्‍वीकृति दे दी है, जिसकी कुल लागत लगभग 1332 करोड़ रुपये है. बढ़ी हुई लाइन क्षमता से गतिशीलता में सुधार होगा, जिससे भारतीय रेलवे की दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में वृद्धि होगी. मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्ततम खंडों पर आवश्यक बुनियादी ढांचागत विकास होगा.

यह परियोजना आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तीन जिलों को करेगी कवर

यह परियोजना प्रधानमंत्री के नए भारत के विजन के अनुरूप है, जो क्षेत्र में व्यापक विकास के जरिए क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगा, जिससे उनके लिए रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बेहतर होंगे. यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है, जो एकीकृत योजना के जरिए संभव हुआ है. यह परियोजना लोगों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तीन जिलों को कवर करने वाली यह परियोजना भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 113 किलोमीटर तक बढ़ाएगी.

तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर तक कनेक्टिविटी के साथ-साथ परियोजना खंड अन्य प्रमुख स्थलों जैसे श्री कालहस्ती शिव मंदिर, कनिपकम विनायक मंदिर, चंद्रगिरी फोर्ट आदि तक भी रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जो देश भर से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है. यह कोयला, कृषि वस्तुओं, सीमेंट और अन्य खनिजों आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए एक आवश्यक मार्ग है. क्षमता वृद्धि कार्य के परिणामस्वरूप 4 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी.

यात्रा सुविधा में होगा सुधार, लॉजिस्टिक्‍स लागत में आएगी कमी

रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है, जिससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक्‍स लागत तथा तेल आयात (4 करोड़ लीटर) कम करने और कार्बन डाइयाक्साइड (CO2) उत्सर्जन (20 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, जो एक करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. सरकार की इस पहल से यात्रा सुविधा में सुधार होगा. लॉजिस्टिक्‍स लागत में कमी आएगी. तेल आयात कम होगा और कार्बन डाइयाक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे स्‍थायी और कुशल रेल परिचालन को बढ़ावा मिलेगा.

इसके अलावा मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से करीब 400 गांवों और लगभग 14 लाख आबादी के लिए कनेक्टिविटी बढ़ेगी.इस परियोजना का उद्देश्य तिरुपति के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाना है, जहां प्रतिष्ठित तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर है. मंदिर में प्रतिदिन लगभग 75 हजार तीर्थयात्री आते हैं और शुभ अवसरों पर यह संख्‍या 1.5 लाख प्रतिदिन तक पहुंच जाती है.परियोजना निर्माण के दौरान लगभग 35 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होंगे.

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