Home National यमुना में जहर या सिर्फ सियासत! जानें दिल्ली-हरियाणा के बीच जल विवाद की असल कहानी

यमुना में जहर या सिर्फ सियासत! जानें दिल्ली-हरियाणा के बीच जल विवाद की असल कहानी

by Divyansh Sharma
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Delhi Election And Yamuna: यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने को लेकर हरियाणा की BJP सरकार और दिल्ली की AAP सरकार आमने-सामने आ गई है.

Delhi Election And Yamuna: देश की राजधानी दिल्ली में चुनाव की सियासी गर्मी अब हरियाणा तक पहुंच गई है. यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने को लेकर हरियाणा की BJP यानि भारतीय जनता पार्टी की सरकार और दिल्ली की AAP यानि आम आदमी पार्टी की सरकार आमने-सामने आ गई है.

बीते दिन AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने यहां तक कह दिया कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली में आ रहे यमुना नदी के पानी में जहर घोल दिया था. अगर हमारे इंजीनियरों ने इसे न रोका होता, तो दिल्ली में नरसंहार हो जाता है. वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और मंत्री अनिल विज समेत कई नेता अरविंद केजरीवाल पर जहरीले बोल बोलने का आरोप लगाया है. ऐसे में सियासी पारा हाई हो गया है. बता दें कि दिल्ली में यमुना नदी के पानी की सफाई का मुद्दा सबसे अहम है और विवाद काफी पुराना.

दिल्ली के अलावा कई राज्यों में जाता है यमुना का पानी

बता दें कि दिल्ली में पूर्ण रूप से साल 1993 में पहली बार चुनाव हुए थे. इस चुनाव में BJP ने बाजी मारी थी और उस समय से ही यमुना का बदस्तूर जारी है. उस समय से ही दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी के लिए युद्ध छिड़ा हुआ है. हालांकि, यह विवाद दिल्ली और हरियाणा तक ही सीमित नहीं है.

गौरतलब है कि यमुना का पानी छह राज्यों को जाता है. इसमें देश की राजधानी दिल्ली के साथ हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं. सबसे पहले हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच हुए समझौते के बाद से यह विवाद बढ़ गया. बता दें कि दिल्ली में पानी के सोर्स काफी कम हैं.

ऐसे में दिल्ली को साल 1993 के समझौते के अनुसार हरियाणा से पानी दिए जाने लगा. इसके बाद इसमें हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश को शामिल किए जाने के दिल्ली को दिए जाने वाली पानी का मात्रा में कटौती हो गई और यहीं से दिल्ली में शुरू हुआ पानी पर संग्राम. हालांकि, दिल्ली को यह छूट मिली थी कि जब-जब उसे जरूरत होगी, उसे अतिरिक्त पानी दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें: यमुना के पानी में कौन मिला रहा जहर! AAP ने हरियाणा को बताया दोषी, सैनी ने दी चुनौती

यमुना की सफाई के लिए 1993 में बना था एक्शन प्लान

इस समझौते के बाद मुनक नहर अस्तित्व में आया. साल 1996 में हुए समझौते के तहत मुनक का निर्माण किया गया. बाद में हरियाणा में किसी भी दल की सरकार ने राज्य की जरूरत बढ़ने का हवाला देते हुए दिल्ली को हर रोज 120 मिलियन गैलन पानी देने से इन्कार कर दिया. इससे दिल्ली में जल संकट और सियासत में विवाद बढ़ गया.

दूसरी ओर यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा को लेकर भी विवाद देखने को मिलता रहा है. यमुना को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के लिए पिछले कई सालों से राजनीति हो रही है. यमुना की सफाई के लिए साल 1993 में पहला यमुना एक्शन प्लान बनाया गया था. तब से लेकर अब तक अरबों रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.

दिल्ली सरकार का कहना है कि हरियाणा सरकार जानबूझकर फैफ्ट्रियों का प्रदूषण यमुना में डाल रही है. वहीं, हरियाणा सरकार का दावा करती है कि दिल्ली में ही पहुंचने के बाद यमुना का पानी मैला होता है. गौरतलब है कि किसी भी साफा पानी में अमोनिया की मात्रा 0.5 PPM से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन कभी-कभी पानी का PPM 0.8 से अधिक हो जाती है. एक दिन पहले ही दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि यमुना के पानी में अमोनिया का स्तर 7 PPM है और यह हरियाणा सरकार की वजह से है. हालांकि, दिल्ली जल बोर्ड ने इस दावे को नकार दिया है.

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