COP 29 India Dialogue: भारत की ओर से कहा गया है कि बढ़ती चरम मौसम की घटनाएं लोगों और गरीब देशों के अस्तित्व को खतरे में डाल रही है.
COP 29 India Dialogue: पूरे विश्व में इस वक्त जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा मुद्दा है. इसे लेकर भारत ने बहुत बड़ा बयान दिया है.
भारत की ओर से कहा गया है कि बढ़ती चरम मौसम की घटनाएं लोगों और गरीब देशों के अस्तित्व को खतरे में डाल रही है.
साथ ही विकसित देशों से विकासशील देशों में जलवायु अनुकूलन के लिए अपना समर्थन बढ़ाने का आह्वान किया है.
भारत ने COP28 की वादों कि दिलाई याद
दरअसल, अजरबैजान के बाकू में COP 29 यानी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इसी दौरान जलवायु परिवर्तन अनुकूलन पर एक उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक की गई है.
बैठक में भारतीय प्रतिनिधि राजश्री रे ने कहा कि विकासशील देशों के रूप में हमारे लिए हमारे लोगों का जीवन, उनका अस्तित्व और उनकी आजीविका दांव पर है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विकासशील देश जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहे हैं. यह विकसित देशों की ओर से किए जा रहे कार्बन उत्सर्जन का परिणाम है.
उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती चरम मौसम की घटनाओं से विकासशील दुनिया के लोगों के जीवन और आजीविका का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है.
इस दौरान उन्होंने COP28 की बातों को याद दिलाते हुए कहा कि COP28 वैश्विक जलवायु को स्थिर करने के लिए UAE यानी संयुक्त अरब अमीरात ढांचे को अपनाया गया था. इसके लिए विकसित देशों की ओर से विकासशील देशों को वित्तीय समर्थन बढ़ाने की जल्द जरूरत है.
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भारत के प्रयासों को भी रखा दुनिया के सामने
भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि वित्तीय समर्थन के बिना गर्म होती दुनिया को बचाने के लिए विकासशील देशों की रफ्तार धीमी हो रही है.
साथ ही कहा गया कि अगले साल 2025 में विकासशील देशों के लिए नए जलवायु वित्त पैकेज में बेहतर मदद मिलनी चाहिए. इसके लिए विकसित देशों को सार्वजनिक और निजी सोर्स का इस्तेमाल करना चाहिए.
भारतीय प्रतिनिधि ने अपने प्रयासों के बारे में भी दुनिया को बताया. उन्होंने कहा कि भारत में जलवायु परिवर्तन को लेकर फंडिंग काफी हद तक घरेलू संसाधनों से आई है.
उन्होंने यह भी बताया कि हम अपने देश की अनुकूलन योजना विकसित करने की प्रक्रिया में हैं, जो जल्द ही पूरी हो जाएगी.
साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष UNFCCC यानी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन को भेजे गए हमारे प्रारंभिक ढांचे में हमने 850 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक की फंडिंग की आवश्यकताओं का अनुमान लगाया था.
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