Asaduddin Owaisi On Ajmer Sharif Dargah: पीएम मोदी ने सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स पर चादर भेजी थी. इसी पर असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा.
Asaduddin Owaisi On Ajmer Sharif Dargah: सांसद और AIMIM यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भड़क गए है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह पर चादर भेजने पर तंज कसा. उन्होंने शनिवार को कहा कि चादर भेजने से कोई फायदा नहीं है. शायराना अंदाज में उन्होंने कहा कि किसी शायर ने कहा है कि हमारे जख्म का कुछ यूं किया इलाज, मरहम भी गर लगाया तो कांटों की नोक से.
अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजने पर @asadowaisi ने @narendramodi को दी सलाह, कहा "मोदी उन लोगों पर रोक लगाएं जो मस्जिदों और दरगाहों के खिलाफ कोर्ट को जा रहे हैं, सिर्फ चादर भिजाने से कोई फायदा नहीं होगा।#AjmerSharif #ajmer #dargahsharif #dargah #AsaduddinOwaisi #Chadar #owaisi pic.twitter.com/90f87C9ls8
— AIMIM (@aimim_national) January 4, 2025
813वें उर्स पर प्रधानमंत्री ने भेजी थी चादर
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13वीं शताब्दी के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स पर चादर भेजी थी. शनिवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू यह चादर चढ़ाने के लिए दरगाह पर पहुंचे. इसी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसा. उन्होंने कहा कि दरगाह पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से चादर भेजने से कोई फायदा नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि BJP यानी भारतीय जनता पार्टी और RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोग कई जगहों पर खोदाई की मांग करते हुए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं. साथ ही वह लोग दावा कर रहे हैं कि मौजूदा मस्जिद मस्जिद नहीं है या दरगाह दरगाह नहीं, बल्कि पुराने हिंदू मंदिर हैं. उन्होने दावा किया कि अगर प्रधानमंत्री चाहें तो यह सब बंद हो सकता है. इस दौरान उन्होंने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह समेत कई मामलों का जिक्र किया और दावा किया कि मौजूदा विवादित मामलों को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए.
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हिंदू सेना की ओर से दाखिल की गई है याचिका
बता दें कि हाल के दिनों में अजमेर शरीफ को लेकर विवाद देखने को मिला है. दरअसल, हिंदू सेना की ओर से अजमेर के जूनियर डिवीजन जज के सामने एक याचिका दाखिल की गई है. इसमें दावा किया गया है कि ऐतिहासिक अभिलेखों में इस स्थान पर महादेव मंदिर और जैन मंदिर स्थित होने की बात कही गई है. याचिका में अजमेर के रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की साल 1911 में लिखी किताब का भी हवाला दिया गया है, जिसमें लिखा है कि दरगाह के निर्माण के नीचे महादेव मंदिर का मलबा दबा है.
साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि औरंगजेब पर लिखी गई मसीर-ई-आलमगीरी किताब में उल्लेखित है कि औरंगजेब ने जोधपुर और उदयपुर के कृष्ण मंदिरों को तोड़कर उसके मलबे और मूर्तियों के अवशेषों को जामा मस्जिद की सीढ़िया में लगवाया था. औरंगजेब के निर्देश पर सिपहसालार खान जहां बहादुर ने ही मंदिरों को तहस-नहस किया था. यह मामला अजमेर के जूनियर डिवीजन जज की कोर्ट में फिलहाल पेंडिंग है.
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