Anti-Submarine Warfare Sonobuoys: 23 अगस्त को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत को एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय और संबंधित उपकरणों की विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दी थी.
Anti-Submarine Warfare Sonobuoys: अमेरिका से बड़ी जानकारी सामने आ रही है. अमेरिका अपना एंटी-सबमरीन वारफेयर ‘सोनोबॉय’ (Anti-Submarine Warfare Sonobuoys) भारत को बेचने वाला है. अमेरिका का कहना है कि इससे भारत की एंटी-सबमरीन वारफेयर ऑपरेशन करने की क्षमता को बढ़ जाएगी. जानकारी के मुताबिक यह डील 52.8 मिलियन अमरीकी डॉलर में हुई है. बता दें कि इस सबमरीन को पनडुब्बी, वॉरशिप और हेलीकॉप्टर से भी ऑपरेट किया जा सकता है. ऐसे में विध्वंसक युद्धपोत INS माल्प और INS मुल्की के बाद अब इंडियन नेवी की ताकत और बढ़ने वाली है. भारत की यह डील चीन और पाकिस्तान के लिए झटका साबित हो सकती है.
भारत ने ‘सोनोबॉय’ खरीदने का किया था अनुरोध
रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने इस सप्ताह सीनेट की विदेश संबंध समिति को एक अधिसूचना जारी कर इस बात की जानकारी दी. अधिसूचना में उन्होंने बताया कि प्रस्तावित बिक्री भारत की MH-60R हेलीकॉप्टरों से एंटी-सबमरीन वारफेयर ‘सोनोबॉय’ ऑपरेट करने की क्षमता वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने में बेहद कारगर साबित होगी. भारत को अपने सशस्त्र बलों में इस ‘सोनोबॉय’ को शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी. जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी संसद कांग्रेस के पास बिक्री की समीक्षा करने के लिए 30 दिन हैं. कांग्रेस की अधिसूचना के अनुसार, भारत ने AN/SSQ-53O हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर (HAASW) सोनोबॉय, AN/SSQ-62F HAASW सोनोबॉय; और AN/SSQ-36 HAASW सोनोबॉय खरीदने का अनुरोध किया था.
अमेरिकी विदेश मंत्री में 23 अगस्त को दी मंजूरी
अधिसूचना में कहा गया है कि यह प्रस्तावित बिक्री अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करेगी, क्योंकि इससे अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और एक प्रमुख रक्षा साझेदार की सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिलेगी, जो भारत-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बनी हुई है. बता दें कि इस डील की अनुमानित कुल लागत 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर है. 23 अगस्त को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत को एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय और संबंधित उपकरणों की विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दी थी. बता दें कि इससे भारतीय सैन्य बलों का निगरानी तंत्र और मजबूत होगा और दुश्मनों की पनडुब्बियों या ऐसी किसी हरकत को नाकाम करने में मदद मिलेगी.
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क्या है सोनोबॉय?
- पनडुब्बियों की ओर से छ़ोड़े जाने वाले साउंड वेव्स का पता लगाने में आता है काम
- पानी की गहराई में होने वाली रिसर्च में भी आता है काम
- एंटी सबमरीन वारफेयर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है सोनोबॉय
- SONAR यानी साउंड नेविगेशन एंड रेजिंग सिस्टम से गहरे पानी में मिलती है हर चीज की जानकारी
- दो मोड में करता है काम- एक्टिव और पैसिव
- पैसिव मोड में खुद सिग्नल रिलीज करके चीजों को करता है डिटेक्ट
- एक्टिव मोड में सामने से आ रही साउंड वेव्स का पता लगाना है काम
- पनडुब्बी, हेलीकॉप्टर और युद्धपोत से छोड़ा जा सकता है सोनोबॉय
इस डील से पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन की भारतीय नौसेना की क्षमता में सुधार होगा. बता दें कि ‘सोनोबॉय’ एकॉस्टिक सेंसर से लैस है. भारतीय नौसेना इसकी मदद से समुद्र के अंदर मौजूद दुश्मन की पनडुब्बी की धीमी से धीमी आवाजों को भी काफी बेहतर तरीके से सुन सकेगी. ऐसे में जंग के मैदान में दुश्मन की सबमरीन को खत्म करना भारतीय नौसेना के लिए आसान हो जाएगा.
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