World Diabetes Day 2024: दुनियाभर में हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है. यह रोग जितना पुराना होता जाता, उतना ही बढ़ा रूप लेता चला जाता है.
14 November, 2024
World Diabetes Day 2024: डायबिटीज एक लाइफस्टाल से जुड़ी समस्या है जो आज के समय में बेहद आम है. इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनियाभर में हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है. यह रोग जितना पुराना होता जाता, उतना ही बढ़ा रूप लेता चला जाता है यानी हाई ब्लड शुगर की बीमारी में तब्दील हो जाता है. फिर इसे कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है.
पिछले साल छपी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, भारत में करीब 10 करोड़ लोग डायबिटीज के पेशेंट हैं. डायबिटीज के मरीज को स्ट्रोक , किडनी फेलियर, हार्ट अटैक और रेटिनोपैथी यानी आंखों से जुड़ी समस्याएं होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी की एक रिसर्च में भी डायबिटीज के करीब 17 प्रतिशत लोग रेटिनोपैथी के शिकार पाए गए.
आंखों को कैसे प्रभावित करती है डायबिटीज ?
डायबिटीज स्पेशलिस्ट डॉक्टर अतुल गोगिया का कहना है कि डायबिटीज एक बेहद खतरनाक बीमारी है जिससे आंखें, स्किन और यहां तक कि शरीर का हर अंग किसी न किसी तरह से प्रभावित होता है. इससे आंखों से जुड़ी समस्याएं जैसे- रेटिना में खून का बहना, मोतियाबिंद और यहां तक कि आंखों की रोशनी तक खो सकती है. लेकिन अगर डायबिटीज का सही समय पर पता चल जाए तो कई तरीकों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है.
क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी ?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो डायबिटिक रेटिनोपैथी एक ऐसी कंडीशन है जिससे रोगी की नजर कमजोर हो सकती है. इस पर समय रहते काबू न पाया गया तो मरीज अंधेपन का शिकार हो सकता है. दरअसल, डायबिटीज रेटिना में नसों और नर्व टिस्यू को नुकसान पहुंचाता है. इस दौरान भले ही रोगी को कोई लक्षण दिखाई न दे, लेकिन समय के साथ-साथ धुंधला दिखाई देना और रेटिना पर काले धब्बे का एहसास शुरू हो जाता है. इससे मोतियाबिंद और ग्लूकोमा का खतरा भी बढ़ जाता है
डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज
मैक्स अस्पताल नेत्र विज्ञान के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. चारू मित्तल का कहना है कि अगर किसी रोगी को डायबिटिक रेटिनोपैथी 10 साल से ज्यादा समय तक रहती है तो यह हाई ब्लड शुगर का रूप ले लेती है. इस दौरान इसका इलाज मात्र इंसुलिन के जरिए ही किया जा सकता है. डायबिटिक रेटिनोपैथी के शुरुआती लक्षणों की बात की जाए तो इसे केवल निगरानी की जरूरत होती है, जबकि इसके एडवांस केस में आंखों पर इसका असर होने से रोकने के लिए लेजर थेरेपी या इंजेक्शन का भी सहारा लिया जाता है.
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