Sher of Kaif Azmi : एक्ट्रेस शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी अपनी गजल को लेकर काफी मशहूर थे. साथ ही उन्होंने इस दौरान कई शेर ऐसे लिखे जिसको आज भी लोग अपनी कहावतों में उद्धृत करते हैं.
Sher of Kaif Azmi : भारत के मशहूर कैफी आजमी (Kaif Azmi) के पिता का जन्म 14 जनवरी, 1919 को हुआ और उनका निधन 10 मई, 2002 को हुआ था. कैफी आजमी 20 शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे. शुरुआत में कैफी के घरवाले चाहते थे कि वह मौलवी बनें और इसलिए उन्होंने प्राथमिक तालिम मदरसे से हासिल की. भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के बाद उन्होंने पढ़ाई लिखाई बंद कर दी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) में शामिल हो गए. उन्होंने बहुत कम उम्र में गजल लिखना शुरू कर दिया था… इसी कड़ी में हम आज उनके शेर की बात करने जा रहे हैं जिन्होंने उस लोगों के दिलों में जगह बनाई थी.
हिन्दू-मुसलमां
बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमां जो बस गए,
इंसां की शक्ल देखने को हम तरस गए.
सदा दहर
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई,
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई.
गुजर जाए कारवां
अब जिस तरफ से चाहे गुजर जाए कारवां,
वीरानियां तो सब मिरे दिल में उतर गईं.
ये मालूम तो
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था,
जिस्म जल जाएंगे जब सर पे न साया होगा.
अपना मुकद्दर
गर डूबना ही अपना मुकद्दर है तो सुनो,
डूबेंगे हम जरूर मगर नाखुदा के साथ.
कोई तो सूद चुकाए
कोई तो सूद चुकाए कोई तो जिम्मा ले,
उस इंकलाब का जो आज तक उधार सा है.
मेरा सलाम
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना,
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने.
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