Javed Akhtar Sher : अपने समय के चर्चित पटकथा लेखक जावेद अख्तर की चर्चा यूं तो कई मामलों में होती रहती है, लेकिन आज हम उनके द्वारा लिखे गए शेर और शायरियों के बारे में बात कर रहे हैं.
Javed Akhtar Sher : हर मूड और मिजाज का गीत लिखने वाले जावेद अख्तर एक दौर में चर्चित पटकथा लेखक हुआ करते थे. सलीम खान के साथ उन्होंने जोड़ी बनाकर कई फिल्मों के डायलॉग्स लिखे. आज भी समीम जावेद के लिखे डायलॉग और कहानियों का कोई मुकाबला नहीं कर सकता. इसके अलावा वह शानदार शेर और शायरी भी लिखते हैं. नीचे दिए गए शेरों को पढ़िये और अपनी जिंदगी में रंग भरने का काम कीजिए.
चुप-चाप
उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी,
सर झुकाए हुए चुप-चाप गुजर जाते हैं.
गैर हूं फिर भी
तुम ये कहते हो कि मैं गैर हूं फिर भी शायद,
निकल आए कोई पहचान जरा देख तो लो.
अधूरा अफसाना
याद उसे भी एक अधूरा अफसाना तो होगा,
कल रस्ते में उस ने हम को पहचाना तो होगा.
जिंदाबाद हिन्दोस्तान
इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान,
अंधेरे हार गए जिंदाबाद हिन्दोस्तान.
पेड़ों की शाखों पर
जरा मौसम तो बदला है मगर पेड़ों की शाखों पर नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगे,
बहुत से जर्द चेहरों पर गुबार-ए-गम है कम बे-शक पर उन को मुस्कुराने में अभी कुछ दिन लगेंगे.
खुशी से फासला
सब का खुशी से फासला एक कदम है,
हर घर में बस एक ही कमरा कम है.
आंखों में भी काजल
उस की आंखों में भी काजल फैल रहा है,
मैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूं.
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