West Bengal News : पश्चिम बंगाल से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां 36 साल पहले 104 वर्षीय शख्स को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया.
West Bengal News : पश्चिम बंगाल के मालदा सुधार गृह में 104 वर्षीय व्यक्ति को 36 साल की जेल काटने के बाद रिहा कर दिया गया. जेल छूटने के बाद रसिकत मंडल ने कहा कि वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताएंगे और बागवानी करेंगे. वहीं, रसिकत को साल 1998 में भूमि विवाद को लेकर अपने भाई की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद 1992 में मालदा जिला और सत्र न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सजा काटने के दौरान उन्हें एक साल के लिए जमानत पर रिहा किया गया था और दूसरी बार पैरोल दी गई थी, लेकिन जेल की अवधि समाप्त होने के बाद उन्होंने खुद सरेंडर कर दिया.
बागवानी का करेंगे काम
मालदा जिले के मानिकचक के रहने वाले रसिकत मंडल ने जेल से रिहा होने के बाद मीडिया कर्मियों से कहा कि वह बाकी बचे जीवन को बागवानी या पौधों की देखभाल लगा देंगे. साथ ही अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताएंगे. जब मीडिया वालों ने मंडल से उनकी उम्र के बारे जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि 108 साल है. इसके बाद उनके बेटे ने सुधार करते हुए बताया कि वह 104 साल के हैं. वहीं, सुधार गृह के अधिकारियों ने कहा कि रिकॉर्ड के हिसाब से वह 104 वर्ष के हैं.
पता नहीं कब होगी जेल की सजा खत्म
वहीं, बुजुर्ग शख्स ने आगे कहा कि मुझे याद भी नहीं है कि मैं कितने साल पहले जेल में आया था और मुझे ऐसा लगने लगा था कि पता नहीं है जेल कब खत्म होगी. हालांकि, उन्होंने यहा भी कहा कि अब मैं बाहर आ गया हूं और जुनून के साथ मैं अपने साथ न्याय करूंगा. साथ ही मुझे अपने छोटे नाती-नातिनों की याद आती है और अब मैं उनके साथ जीवन व्यतीत करना चाहता हूं. दूसरी तरफ मंडल के बेटे प्रकाश मंडल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मेरे पिता को जेल से रिहा किया गया है. बेटे ने आगे कहा कि जेल में लंबा समय बिताने के बाद हर एक व्यक्ति को जेल से रिहा होने का अधिकार है. बस शर्त इस बात की है कि उस शख्स ने जेल में किसी नियम को तोड़ नहीं हो. बेटे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार उनकी रिहाई का रास्ता साफ कर दिया है और हमें इसकी बहुत खुशी है.
72 साल की उम्र में सुनाई अदालत ने सजा
आपको बताते चलें कि जब मालदा की जिला और सत्र अदालत ने मंडल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी उस वक्त उनकी उम्र करीब 72 वर्ष थी. हालांकि, कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था, लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए जेल भेज दिया गया था. साल 2021 में उन्हें एक बार पैरोल दी गई थी और इसकी अवधि खत्म होने के बाद उन्हें सुधार गृह भेज दिया था.
यह भी पढ़ें- दिल्ली में ‘ट्रिपल मर्डर’ को लेकर अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर साधा निशाना! कहा- घटना बेहद दर्दनाक और भयावह