Israel-Hezbollah War: हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah Dead) की मौत के बाद कई सवाल उठने लगे हैं. क्या Lebanon पर हमला करना इजरायल के लिए एक गलती होगी और क्या हिज्बुल्लाह जवाबी हमला कर सकता है?
Israel-Hezbollah War: 27 सितंबर को इजराइल ने लेबनान में ईरान समर्थित संगठन हिज्बुल्लाह की कमर तोड़ दी. भीषण हमले में हिज्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah Dead) की मौत हो गई.
इस हमले के बाद से हिज्बुल्लाह नेतृत्वहीन हो गया है. वहीं, मिडिल-ईस्ट में तनाव बेहद बढ़ गया है, लेकिन इस बीच कई सवाल उठने लगे हैं कि हिज्बुल्लाह का नया चीफ कौन होगा, क्या लेबनान पर हमला करना इजरायल के लिए एक गलती होगी और क्या हिज्बुल्लाह जवाबी हमला कर सकता है?
हिज्बुल्लाह के नए चीफ की तलाश हुई तेज
हिज्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद से उग्रवादी लेबनानी संगठन के नए चीफ की तलाश तेज हो गई है. 27 सितंबर की शाम लेबनान की राजधानी बेरूत में इजराइल (Israel–Hezbollah War) की ओर से बड़ा हमला किया गया था. इजराइली रक्षा बलों (IDF) की ओर से की ओर से X पर किए गए एक पोस्ट में कहा गया कि IDF (Israel Defense Forces) ने बेरूत के दहिएह के सेंटर में स्थित रेजिडेंशियल बिल्डिंग के नीचे बने हिज्बुल्लाह आतंकी संगठन के केंद्रीय मुख्यालय पर सटीक हमला किया.
IDF की ओर से दावा किया गया कि हमले के दौरान हसन नसरल्लाह केंद्रीय मुख्यालय में ही मौजूद था. बता दें कि इजराइल और हिज्बुल्लाह साल 2006 के बाद से एक-दूसरे पर सीधे हमले करने से बच रहे थे. यहां तक कि 7 अक्टूबर इजराइल में हुए नरसंहार के बाद भी दोनों पक्ष एक-दूसरे पर बड़े हमले करने से बच रहे थे.
ब्लू लाइन पर बारीकी से रखी जा रही है नजर
बता दें कि इन हमलों से पहले इजराइल लेबनान में सैन्य कार्रवाई करता रहा है. PLO यानी फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (Palestine Liberation Organization) के खत्म होने के बाद हमास का उदय हुआ. इसी तरह, दक्षिणी लेबनान में PLO के पीछे इजरायल ने हिज्बुल्लाह के निर्माण को गति दी. गौरतलब है कि, 1978 से अब तक पांच बड़े हमलों के बाद भी इजराइल लेबनान में कब्जा नहीं कर पाया है.
यह हमले 2006 के बाद इस साल 18 सितंबर को तनाव बढ़ने लगा, इजराइल ने हिज्बुल्लाह के गुर्गों के हजारों पेजर और मोबाइल में धमाका किया. इस हमले में कम से कम 32 लोग मारे गए और कई हजार लोग घायल हो गए. इस तकनीकी हमले को बनाने में कई साल लग गए थे. दुश्मन को निष्क्रिय करने के लिए एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक था. वहीं, हसन नसरल्लाह की मौत ने हिज्बुल्लाह को कमजोर कर दिया है. हाल के दिनों IDF इजराइल और लेबनान की सीमा ब्लू लाइन पर बारीकी से नजर रख रहा है.
यह भी पढ़ें: Lebanon के बाद क्या Iran पर भी हमला बोलेगा Israel? गुप्त जगहों पर छिपे Supreme Leader
हिज्बुल्लाह का समर्थन नहीं करते कई लोग
बता दें कि हिज्बुल्लाह की असली ताकत हमेशा आबादी में घुलने-मिलने की है और अगर IDF ने फिर से सैनिकों को भेजने की गलती की, तो इसके परिणाम भीषण हो सकते हैं. यह लड़ाई 1982 और 2006 के जंग को दोहरा सकती है. दूसरी ओर, ईरान और सीरिया भी साजिश रच रहे हैं. IDF का उद्देश्य हिज्बुल्लाह को लिटानी नदी के उत्तर में वापस खदेड़ना है, ताकि उसे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1701 का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सके और उत्तरी इजराइल में विस्थापित लोगों को लौटाया जा सके.
हालांकि, फिलिस्तीन को लेबनान में 1975 से 1990 तक हुए गृहयुद्ध का कारण माना जाता है. ऐसे में लेबनान के कई लोग हिज्बुल्लाह का समर्थन नहीं करते हैं. साल 1982 में जब IDF ने दक्षिणी लेबनान पर हमला किया था, तब कुछ लेबनानी लोगों ने IDF को PLO से मुक्तिदाता के रूप में देखते हुए उनका चावल और फूलों से स्वागत किया था, लेकिन अब इजराइल की रिहायशी इलाकों में बमबारी लोगों की भावनाओं को भड़का सकती है.
यह भी पढ़ें: 15 वर्ष में गांव का प्रतिनिधि, 32 में बना Hezbollah का चीफ, जानें कौन था Hassan Nasrallah