Home International 15 वर्ष में गांव का प्रतिनिधि, 32 में बना Hezbollah का चीफ, जानें कौन था Hassan Nasrallah

15 वर्ष में गांव का प्रतिनिधि, 32 में बना Hezbollah का चीफ, जानें कौन था Hassan Nasrallah

by Divyansh Sharma
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15 साल की उम्र में गांव का प्रतिनिधि, 32 में बना Hezbollah चीफ, जानें कौन था Hassan Nasrallah- Live Times

Who Was Hassan Nasrallah: लेबनान (Lebanon) के उग्रवादी शिया इस्लामी हिज्बुल्लाह आंदोलन का नेता शेख हसन नसरल्लाह मिडिल-ईस्ट के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक था.

Who Was Hassan Nasrallah: लेबनान में स्थित ईरान समर्थित संगठन हिज्बुल्लाह पर इजराइल कहर बन कर टूट रहा है. इजराइल के ताजा हमले में हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत हो गई है. इजराइल की ओर से किए गए अब तक के सबसे बड़े हमले में हसन नसरल्लाह के अलावा हिज्बुल्लाह (Israel Hezbollah war) के कई सीनियर लड़ाके मारे गए हैं.

IDF की ओर से दावा किया गया कि हमले के दौरान हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah Dead) केंद्रीय मुख्यालय में ही मौजूद था. हिज्बुल्लाह ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है. बता दें कि लेबनान (Lebanon) के उग्रवादी शिया इस्लामी हिज्बुल्लाह आंदोलन का नेता शेख हसन नसरल्लाह मिडिल-ईस्ट के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक था.

हाइब्रिड राजनीतिक-सैन्य इकाई बना हिज्बुल्लाह

इजराइली रक्षा बलों (Israel Defense Forces) की हिट लिस्ट में शामिल होने के कारण हसन नसरल्लाह को कभी सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया था. बता दें कि मिडिल-ईस्ट के पेचीदा भू-राजनीतिक घटनाक्रम में हसन नसरल्लाह के नेतृत्व में हिज्बुल्लाह एक शक्तिशाली संगठन के रूप में उभरा. IDF से मिली जानकारी के मुताबिक, हसन नसरल्लाह को ईरान से मजबूत समर्थन मिला. हिज्बुल्लाह के लड़ाके हसन नसरल्लाह का बहुत सम्मान करते थे.

हसन नसरल्लाह के नेतृत्व में हिज्बुल्लाह ने फिलिस्तीन (Palestine) के हमास (Hamas) संगठन के लड़ाकों के साथ-साथ इराक और यमन के मिलिशिया को प्रशिक्षित करने में मदद की. साथ ही इजराइल से लड़ने के लिए उन्हें ईरान से मिसाइलें और रॉकेट मिले हैं. IDF से मिली जानकारी के मुताबिक हिज्बुल्लाह की स्थापना साल 1982 में हुई थी. स्थापना के बाद से ही हिज्बुल्लाह एक मिलिशिया (Militia) से एक हाइब्रिड राजनीतिक-सैन्य इकाई में परिवर्तित हो गया और मिडिल-ईस्ट में अपनी ताकत बढ़ाता रहा.

1992 में हसन नसरल्लाह बना हिज्बुल्लाह का चीफ

हसन नसरल्लाह हिज्बुल्लाह की स्थापना के 10 साल बाद यानी वर्ष 1992 में संगठन का लीडर बन गया. उसने अपने नेतृत्व में हिज्बुल्लाह की रॉकेट क्षमता को बढ़ाने में काम करने लगा. हसन नसरल्लाह यहूदियों के साथ-साथ सभी धर्मों के खिलाफ बयान देता था. यहूदियों के लिए वह कहता था कि यहूदी क्या चाहते हैं? वह सुरक्षा और पैसा चाहते हैं. विश्व के पूरे इतिहास में यहूदी अल्लाह के सबसे कायर और लालची प्राणी हैं. बता दें कि हसन नसरल्लाह का जन्म साल 1960 में हुआ था.

बेरूत के पूर्वी बुर्ज हम्मौद इलाके में वह पला-बढ़ा. उसके पिता अब्दुल करीम एक छोटी सी सब्जी की दुकान चलाते थे. वह आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ा था. हिज्बुल्लाह की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, हसन नसरल्लाह 9 साल की उम्र तक पूरी तरह से धार्मिक हो गया. 1975 में जब लेबनानी गृहयुद्ध छिड़ा तो वह और उसका परिवार बेरूत से भागकर अपने गांव बजौरीयेह लौट आया. साल 1970 के दशक के मध्य तक यह गांव लेबनानी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ बन चुका था. ऐसे में वह भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गया.

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15 साल की उम्र में बना अपने गांव का प्रतिनिधि

हसन नसरल्लाह 15 साल की उम्र में अपने गांव का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया. पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इराक के पवित्र शिया शहर नजफ पहुंचा. नजफ में उसकी मुलाकात हिज्बुल्लाह के चीफ और ब्बास अल-मौसौई से हुई. अल-मौसौई ने उसे अयातुल्ला मोहम्मद बाकर अल-सदर से मिलवाया. मोहम्मद बाकर अल-सदर ने हसन नसरल्लाह को अपने संरक्षण में रखा.

सद्दाम हुसैन के शासन में साल 1978 में नजफ से लेबनानी मौलवी छात्रों को बाहर नहीं निकाल दिया. उस साल हसन नसरल्लाह एक बार फिर से घर लौट गया. साल 1978 में उसने फातिमा मुस्तफा यासीन से शादी की. उसके पांच बच्चे मोहम्मद हादी, मोहम्मद जवाद, ज़ैनब, मोहम्मद अली और मोहम्मद महदी हैं. मोहम्मद हादी साल 1997 में IDF के हमले में मारा गया. साल 1980 में वह मूसा अल-सदर की अमल पार्टी में फिर से शामिल हो गया. 1980 के दशक की शुरुआत में उसने खुद को गुरिल्ला लड़ाका और कमांडर बनाया.

कट्टरपंथी शियाओं ने बनाया हिज्बुल्लाह संगठन

पार्टी में उसका कद बढ़ता ही गया. साल 1982 में लेबनान पर इजराइल के हमले के बाद उसने कट्टरपंथी शियाओं के साथ मिलकर हिज्बुल्लाह संगठन बनाया. साल 1989 में सीरिया के साथ गठबंधन को लेकर हिज्बुल्लाह में दरार पैदा हो गई. इसका उसने विरोध किया और तेहरान में रहने लगा. साल 1991 के अंत में अल-मौसौई को हिज्बुल्लाह का महासचिव नियुक्त किया गया और हसन को वापस लेबनान बुलाया गया.

बाद में वह विलायत अल-फकीह की विचारधारा को मानने लगा और लेबनान को ईरान के सर्वोच्च नेता अली होसैनी खामेनेई की ओर से शासित बड़े इस्लामिक राज्य का हिस्सा बनाने के समर्थक बन गया. बाद में वह हिज्बुल्लाह का चीफ बन गया. फरवरी 1992 में इजराइली हेलिकॉप्टर हमले में अल-मौसौई की हत्या के बाद वह हिज्बुल्लाह का चीफ बन गया. IDF से मिली जानकारी के मुताबिक हिज्बुल्लाह में अभी 20 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं. साथ ही 1 हजार से ज्यादा रिजर्व रखे गए हैं.

हिज़्बुल्लाह के पास हथियार

•हिज्बुल्लाह के पास हैं 1 लाख 50 हजार से ज्यादा रॉकेट
•ईरान निर्मित फज्र-5 और जेलजल-2 रॉकेट हैं शामिल
•400 लंबी दूरी के रॉकेट और मिसाइल (180-700 km)
•सौ से ज्यादा सटीक निर्देशित मिसाइलें (70-250 km)
•4,800 मध्यम दूरी के रॉकेट (40-180 किमी)
•65,000 छोटी दूरी के रॉकेट (20-40 किमी)
•1,40,000 मोर्टार
•17 हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली
•लगभग 100 जहाज रोधी मिसाइलें (मारक क्षमता 200 km)
•सौ से ज्यादा UAV (ड्रोन), लगभग 400 किमी की रेंज के साथ

सोर्स- IDF

यह भी पढ़ें: मारा गया Hezbollah चीफ Hassan Nasrallah, Israel ने कहा- अब नहीं डरा पाएगा आतंकी

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