US-Russia-China Relations: कई यूरोपीय देशों में चर्चा शुरू हो गई है कि डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गुस्सा वोलोडिमिर जेलेंस्की पर उतारा है.
US-Russia-China Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को जमकर लताड़ लगाई है. दोनों नेता दुर्लभ खनिजों यानि रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए सौदा करने वाले थे, लेकिन तीखी झड़प ने सब खत्म कर दिया. ‘
इस घटना के बाद कई यूरोपीय देशों में चर्चा शुरू हो गई है कि डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गुस्सा वोलोडिमिर जेलेंस्की पर उतारा है. ऐसे में बड़ा सवाल बन गया है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप ने रूस का इतना साथ क्यों दे रहे हैं. इन सब के बीच चीन के रिश्ते रूस के साथ कैसे खराब हो रहे हैं.
आर्कटिक में संभावित सहयोग पर चर्चा
दरअसल, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और रूस आर्कटिक में संभावित सहयोग के बारे में चर्चा कर रहे हैं. दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप के रूस के प्रति नरम बयानों से यह समझा जा रहा है कि वह व्लादिमीर पुतिन के करीब जाने की कोशिश कर रहे हैं.
बता दें कि आर्कटिक क्षेत्र में जैसे-जैसे बर्फ पिघल रही है, वैसे ही यह क्षेत्र अपने विशाल, दुर्गम संसाधनों के कारण अधिक आकर्षक होता जा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि चीन भी धीरे-धीरे इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है, जिससे रूस पहले ही सावधान हो गया है. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप लगातार व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के जरिए रूस को रियायतें देने की बात कर रहे हैं.
माना जा रहा है कि आने वाले समय में डोनाल्ड ट्रंप रूस से कई तरह के प्रतिबंध हटा सकते हैं, जो पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के समय लगाए गए थे. दूसरी ओर चीन अमेरिका का मुख्य रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी बना हुआ है. बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने भी 12 फरवरी को कहा था कि अमेरिका अब निर्भरता को बढ़ावा देने वाले असंतुलित संबंधों को बर्दाश्त नहीं करने वाला है. यूरोपीय देशों को सामने से नेतृत्व करना चाहिए, ताकि अमेरिका अब चीन को रोकने पर प्राथमिकता दे सके.
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रूस का समर्थन ले सकता है अमेरिका
ऐसे में कई विदेशी जानकारों का मानना है कि अगर चीन को रोकने में अमेरिका कमजोर पड़ता है, तो वह रूस का समर्थन ले सकता है. बता दें कि यह पहली बार नहीं होगा, दशकों पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने सोवियत संघ के खिलाफ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के संस्थापक माओ जेडोंग के साथ गठबंधन किया था.
उस समय कम्युनिस्ट शासन की स्थापना के बाद चीन पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंध हटा दिए गए थे. ऐसे में एक बार फिर इतिहास करवट ले सकता है. रूस के लिए पूर्व में चीन का बढ़ता प्रभाव चिंता का विषय बना हुआ है. इतिहासकारों के मुताबिक अमेरिका के पास अपने सहयोगियों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के लिए ‘फूट डालो और राज करो’ की रणनीति को लागू करने का एक लंबा इतिहास है.
इसके साथ ही कई सियासी जानकारों का मानना है कि अगर रूस चीन के खिलाफ अमेरिका के साथ जुड़ जाता है, तो चीन के साथ संबंध बहाल करना असंभव हो जाएगा और इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. इन हालिया घटनाक्रमों को देखते हुए माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप व्लादिमीर पुतिन के साथ इसीलिए ही संबंधों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि चीन को घेरा जा सके.
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