Tariff War Effect On India: माना जा रहा है कि टैरिफ वॉर में अमेरिका का ज्यादा खून बह सकता है. साथ ही भारत पर भी असर पड़ सकता है.
Tariff War Effect On India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चीन, कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ लगाकर टैरिफ वॉर को छेड़ दिया है. मैक्सिको और कनाडा से आयात पर लगाया गया नया 25 फीसदी टैरिफ मंगलवार से लागू हो गया. वहीं, चीनी सामानों पर टैरिफ दोगुना होकर 20 फीसदी हो गया है. अब तीनों देशों ही ने अमेरिका के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि इस युद्ध में अमेरिका का ज्यादा खून बह सकता है. साथ ही भारत पर भी असर पड़ सकता है.
अमेरिका में बढ़े मौसमी फलों-सब्जियों के दाम
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप की इस कार्रवाई के बाद माना जा रहा है कि इससे अमेरिकी व्यापार में लगभग 2.2 ट्रिलियन डॉलर तक प्रभावित हो सकता है. डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया है कि तीनों देश अमेरिका में घातक फेंटेनाइल ओपिओइड को रोकने में विफल रहे हैं.
चीन ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए 10 मार्च से कुछ अमेरिकी आयातों पर 10-15 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की लिस्ट जारी कर दी. चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा 30 अरब कनाडाई डॉलर के अमेरिकी आयातों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने जा रहा है. उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को धमकी देते हुए कहा है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ 21 दिनों में भी लागू रहे तो कनाडा 125 बिलियन कनाडाई डॉलर के अन्य अमेरिकी आयातों पर टैरिफ लगाएगा.
मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने भी कह दिया है कि मैक्सिको भी अपनी लिस्ट तैयार कर चुका है. इस बात की जल्द ही घोषणा की जाएगी. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को यूरोपीय संघ के सामानों पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की कसम खाई है. टैरिफ के कारण पहले से ही अमेरिका में कुछ सामानों की कीमतें बढ़ रही थी. मौसमी फलों और सब्जियों पर इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है. ऐसे में जवाबी कार्रवाई में कीमतें और बढ़ सकती हैं. अमेरिकी किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है. साथ ही इलेक्ट्रिक सामान महंगे हो सकते हैं.
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टैरिफ वॉर में भारत को नहीं होगा बहुत नुकसान
दूसरी भारत भी टैरिफ वॉर के लिए तैयार है. ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अधिकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कार्रवाई की काट ढूंढने के लिए कारों और रसायनों सहित कई तरह के आयातों पर शुल्क कम करने के तरीके तलाश रहे हैं. इसमें ऑटोमोबाइल, कुछ कृषि उत्पाद, रसायन, महत्वपूर्ण फार्मास्यूटिकल्स के साथ ही कुछ चिकित्सा उपकरण भी शामिल हैं. भारत सरकार को उम्मीद है कि इस तरह के प्रयासों से भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने में मदद मिलेगी.
हालांकि, भारत सरकार की ओर से आधिकारिक बयान अभी जारी नहीं किया गया है. मामले के जानकारों का कहना है कि हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बैठक के बाद भारत को ज्यादा दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ सकता है. दोनों नेता व्यापार सौदे के पहले खंड पर काम करने के लिए सहमत हुए. इसका लक्ष्य साल 2030 तक 500 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार करना है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार व्यापार मंत्री पीयूष गोयल व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सोमवार को अमेरिका की यात्रा पर निकल गए हैं. इस दौरान पारस्परिक टैरिफ पर चर्चा कर सकते हैं. साथ ही पक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापार सौदे पर भी चर्चा कर सकते हैं. गौरतलब है कि भारत ने पहले ही कई वस्तुओं पर शुल्क में कटौती की है. दिल्ली स्थित थिंक टैंक GTRI यानि ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के कृषि, मत्स्य और डेयरी पर प्रभाव पड़ सकता है. फिर भी टैरिफ से भारत को बहुत नुकसान नहीं होगा.
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