Syrian Civil War: इस विद्रोह का मुख्य चेहरा मोहम्मद अल-जोलानी है. मोहम्मद अल-जोलानी HTS यानी हयात तहरीर अल-शाम का एक रहस्यमय कमांडर है.
Syrian Civil War: सीरिया में साल 2011 में शुरू हुए गृह युद्ध का नतीजा 13 साल बाद रविवार को देखने को मिला. रविवार की सुबह विद्रोहियों के तेज हमले के कारण सीरिया में असद परिवार के 50 साल के शासन के अंत हो गया.
राष्ट्रपति बशर अल-असद भी देश छोड़कर भाग खड़े हुए. हालांकि, इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा है कि विद्रोहियों ने साल 2015 में पीछे हटने के बाद ऐसा कैसे किया और कौन है इस विद्रोह का चेहरा.
अलकायदा में कर चुका है काम
इस विद्रोह का सबसे मुख्य चेहरा मोहम्मद अल-जोलानी है. मोहम्मद अल-जोलानी HTS यानी हयात तहरीर अल-शाम का एक रहस्यमय कमांडर है. मोहम्मद अल-जोलानी पिछले कई सालों से राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के खिलाफ लड़ रहा है. उसे इस्लामी विद्रोही गठबंधन का नेता घोषित किया गया है. वह आतंकी संगठन अलकायदा में भी काम कर चुका है. इतना ही नहीं अमेरिका ने उस पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा है.
मोहम्मद अल-जोलानी को आतंकी संगठन ISIS यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया ने मौत की सजा के योग्य धर्मद्रोही माना है. सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन को तोड़ने वाले मोहम्मद अल-जोलानी का जन्म सऊदी अरब के रियाद में साल 1982 में हुआ है. 42 वर्षीय मोहम्मद अल-जोलानी के परिवार को गोलान हाइट्स का मूल निवासी है, जिन्हें साल 1962 की लड़ाई में गोलान हाइट्स पर इजराइल के कब्जे के बाद घर छोड़ना पड़ा था. एक अरबी न्यूज वेबसाइट के मुताबिक साल 1989 में मोहम्मद अल-जोलानी का परिवार सीरिया पहुंचा.
अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ी लड़ाई
मोहम्मद अल-जोलानी सीरिया की खराब हालात के बीच साल 2003 में इराक में अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ने के लिए अलकायदा में शामिल हुआ. कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया है कि मोहम्मद अल-जोलानी कई सालों तक अमेरिका के सैन्य जेलों में बंद रहा. बाद में वह 2011 में सीरियाई गृहयुद्ध की शुरुआत में सीरिया लौट आया. उसने धीरे-धीरे अल-कायदा की सीरियाई शाखा जबात अल-नुसरा को बनाने में मदद की.
जबात अल-नुसरा बशर अल-असद के शासन और फ्री सीरियन आर्मी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा था. सीरिया में सलाफी-जिहादी आंदोलन के बीच उसने अलकायदा और ISIS से दूरी बना ली. जहां एक ओर ISIS गैर-इस्लामी सीरियाई विद्रोहियों से लड़ रहे थे. वहीं, मोहम्मद अल-जोलानी अकेले ही बशर अल-असद और रूसी सेना के खिलाफ अन्य विद्रोहियों के साथ संघर्ष में शामिल हो गया. मोहम्मद अल-जोलानी ने जब ISIS के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. इसके लिए मोहम्मद अल-जोलानी को ISIS ने धर्मत्यागी घोषित कर दिया गया, जिसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है.
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इदलिब में पूरी तरह से किया है कब्जा
हालांकि, उसके साथ अलकायदा के आतंकी का टैग लगा था, जो उसे पसंद नहीं था. ऐसे में उसने जबात-अन-नुसरा को छोड़ कर साल 2017 में HTS यानी हयात तहरीर अल-शाम का गठन किया. HTS का अर्थ है सीरिया की मुक्ति के लिए सभा. HTS पूरी तरह से अलकायदा से अलग था. HTS धीरे-धीरे मोहम्मद अल-जोलानी के नेतृत्व में मजबूत होता गया और विद्रोहियों के कब्जे वाले आखिरी प्रांत इदलिब के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम सीरिया के अन्य हिस्सों में ISIS और अलकायदा समर्थित गुटों को कुचलना शुरू कर दिया.
HTS ने फिर इदलिब में अपने प्रांत की तरह गढ़ बना लिया. इस शासन को SSG यानी सीरियाई साल्वेशन गवर्नमेंट के नाम से जाना जाता है, जिसे तुर्की का साथ मिला है. HTS पर जेलों में यातना देने के गंभीर आरोप लगे हैं. हालांकि, HTS का मानना है कि शासन इस्लामी होना चाहिए, लेकिन इस्लामिक स्टेट की तरह नहीं. वह आम विद्रोहियों की तरह पगड़ी नहीं पहनता. बता दें कि अब सीरिया में पूरी तरह से HTS का कब्जा हो गया है और मोहम्मद अल-जोलानी इसका नायक.
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