Home International बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद माइनॉरिटी पर बढ़े हमले, हिंदू संगठन बोले- 52 जिलों में हुई 205 हिंसक घटनाएं

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद माइनॉरिटी पर बढ़े हमले, हिंदू संगठन बोले- 52 जिलों में हुई 205 हिंसक घटनाएं

by Sachin Kumar
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Bangladesh Violence : बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार जाने के बाद हिंसक घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. इसी बीच अल्पसंख्यक समुदायों के ऊपर 205 घटनाएं घटी हैं, इस दौरान सबसे ज्यादा हमले मंदिर और घरों पर हुए हैं.

10 August, 2024

Bangladesh Violence : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलट होने के बाद भारी संख्या में हिंसक घटनाएं देखने को मिल रही हैं. इसी कड़ी में असामाजिक तत्वों ने अल्पसंख्यक समुदायों के 52 जिलों में कम से कम 205 बार हमले किए हैं. द डेली स्टार समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद ने शुक्रवार को अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी संभाल रहे 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) को एक खुला पत्र लिखकर इन घटनाओं के बारे में जिक्र किया.

सांप्रदायिक दंगों से जल रहा है बांग्लादेश!

सोमवार को 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के ऊपर कम से कम 205 हमले दर्ज किए गए हैं. वहीं, यूनिटी काउंसिल के तीनों अध्यक्षों में से एक निर्मल रोसारियो ने कहा कि हमारा जीवन भयावह स्थिति में है. हम लोग रात में जागकर अपने घरों और मंदिर की रक्षा कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि मैंने अपने पूरे जीवन में ऐसा होते हुए कभी नहीं देखा है, इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि सांप्रदायिक सद्भाव तुरंत बहाल करे. साथ ही रोसरियो ने यूनुस से आग्रह किया कि वह इस संकट को प्राथमिकता देते हुए हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए जल्द से जल्द सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए जाएं.

हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने किया स्वागत

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता और बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद के अध्यक्ष बासुदेव धर ने पत्र में मोहम्मद यूनुस का स्वागत करते हुए कहा कि नए युग के नेता का आगमन हुआ है. उन्होंने बताया कि जब लोगों की जीत अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही है तो हम लोग देख रहे हैं कि एक स्वार्थी वर्ग अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा करके इस उपलब्धि को धूमिल करने की साजिश रच रहा है. हिंसक घटनाओं की वजह से अल्पसंख्यकों में व्यापक भय, चिंता और अनिश्चितता पैदा हो गई है और इस कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा भी हुई है.

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