Russia-Ukraine War: रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इस बात का संकेत दिया है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए ठोस आधार नहीं है.
Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन के पिछले 1000 दिन से जारी युद्ध अब निर्णायक स्थिति में पहुंच चुका है. इस बीच बड़ी जानकारी सामने आ रही है. युद्ध रोकने के लिए रूस यूक्रेन के साथ बातचीत कर सकता है.
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इस बात का संकेत दिया है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए ठोस आधार नहीं है. फिर भी रूस बात कर सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्यों रूस इतनी जल्दी बातचीत के लिए तैयार हो गया.
वोलोडिमिर जेलेंस्की को बताया अनिर्वाचित राष्ट्रपति
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी स्पुतनिक की ओर से बुधवार को आयोजित BRICS और BRICS की संभावनाओं पर एक टॉक शो के दौरान भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने यह बातें कही हैं.
रूसी राजदूत ने यह कहा कि सबसे पहले जमीनी हकीकत, रूस के हित और यूक्रेन में रूसियों और रूसी मूल के यूक्रेनी नागरिकों की सुरक्षा पर बातचीत होनी चाहिए.
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की अपने पांच साल के कार्यकाल की समाप्ति के बाद अनिर्वाचित राष्ट्रपति हैं. बता दें कि वोलोडिमिर जेलेंस्की को 21 अप्रैल, 2019 को यूक्रेन का राष्ट्रपति चुना गया था.
उन्होंने दावा किया कि चाहे युद्ध का समय हो या न हो, यूक्रेन के संविधान में कोई इस तरह का प्रावधान नहीं है कि राष्ट्रपति बिना चुनाव के पद पर बने रह सके.
उन्होंने जोर देकर कहा कि हम यूक्रेन के साथ बैठकर बातचीत करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि बातचीत का कोई आधार हो.
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रूस का यूक्रेन के मुकाबले बड़े भू-भाग कब्जा
रूस की न्यूज एजेंसी TASS ने भी क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के हवाले बुधवार को बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं. इसमें अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल हैं.
क्रेमलिन के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक खबर पर कहा कि व्लादिमीर पुतिन ने बार-बार बातचीत के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की है.
बता दें कि रूस के खार्किव और माइकोलाइव समेत चार इलाकों में करीब 26,000 वर्ग किमी क्षेत्र अभी भी यूक्रेनी सैनिकों ने कब्जा कर रखा है.
वहीं, यूक्रेन के डोनेट्स्क, लुहांस्क, ज़ापोरीज्जिया और खेरसॉन को रूस पूरी तरह से अपना हिस्सा बताता है. ऐसे में रूस के कब्जे में यूक्रेनी क्षेत्र का 1,10,000 वर्ग किमी से अधिक का क्षेत्र है. क्रीमिया भी रूस के ही कब्जे में है. ऐसे में रूस के खार्किव और माइकोलाइव से हटने की शर्त भी बातचीत में शामिल हो सकती है.
बता दें कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कसम खाई है कि उनका देश तब तक चैन से नहीं बैठेगा, जब तक उनके क्षेत्र से एक भी रूसी सैनिक बाहर नहीं निकल जाता है.
इसी तरह 14 जून को व्लादिमीर पुतिन ने युद्ध को विराम के लिए शर्त रखी कि यूक्रेन को NATO से अलग होना होगा और चार यूक्रेनी क्षेत्रों से अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाना होगा.
ऐसे में दावा इस बात का भी किया जा रहा है कि अगर युद्ध विराम पर सहमति नहीं बनती है तो रूस लड़ाई जारी रखेगा.
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